बचपन में धन और धनी लोगों के मामले में हमारे अनुभव कैसे थे ? ये अनुभव इस मामले में महत्त्वपूर्ण है कि हमारा "आज "सालों बाद भी उस अनुभव से प्रभावित है !
अगर आपने किसी गरीब आदमी को पैसे के अभाव में मरते देखा है और उसी दरम्यान किसी अमीर को अपनी अमीरी का भोंडा प्रदर्शन करते देखा है तो आश्चर्य नहीं आप गरीब के लिए सहानुभूति रखे और अमीर से नफ़रत करें ! ऐसी स्थिति में आपकी कंडीशनिंग ये होगी कि अमीर बुरे होते है वे बेज़रूरत पैसे खर्च कर देते है बजाय किसी गरीब को बचाने के . अब जब इस तरह की कंडीशनिंग आपकी बन जाती है तो आप जब भी आपके पास अमीरी आएगी आप उस अमीरी से दूर हट जायेंगे क्योंकि आपके दिमाग के स्टोर रूम में जो फाइल इंस्टॉल है वो तो अमीर न बनने की है क्योंकि अमीर बुरे होते है. इस तरह की खास घटनाये भी आपकी कंडीशनिंग करती है ,जिसे हम तीसरे तरीके की कंडीशनिंग कहेंगे .
यानि पहली कंडीशनिंग शाब्दिक दूसरी अनुसरण करना और तीसरी विशिष्ट घटनाये .
दिमाग सही तरीके से काम करे इसके लिए आपकी सोच और समझ का दायरा बड़ा होना चाहिए लेकिन ऐसा होता नहीं है पहली बात हम किसी भी बात पर बिना ढंग से सोचे समझे तत्काल प्रतिक्रिया व्यक्त करते है अमूनन हम दिमाग से नहीं दिल से सोचते है लिहाजा हमारे निर्णय और हमारी कंडीशनिंग भावनात्मक होती है .दूसरी बात जब एक बार हम अपनी कोई राय बना लेते है तो ये " ईगो " वाली बात हो जाती है - येन-केन प्रकारेण हम उसे सही ठहराने का प्रयास करते है और दिमाग नाम का स्टोर रूम हमेशा आपकी सोच की रक्षा के लिए तैयार रहता है आपकी सोच के अनुकूल तर्क आपके सामने रखता रहता है !
मैंने कंडीशनिंग पर इतने विस्तार से इसलिए लिखा है क्योंकि यही आपकी गरीबी और अमीरी का मूल तत्व है यही आपके अमीरी या गरीबी नामक पेड़ की जड़ें है . अगर आप गलत कंडीशनिंग के शिकार है तो उसे सुधारा जा सकता है , सुधार के तरीके पर अगली पोस्ट में ...
सुबोध
अगर आपने किसी गरीब आदमी को पैसे के अभाव में मरते देखा है और उसी दरम्यान किसी अमीर को अपनी अमीरी का भोंडा प्रदर्शन करते देखा है तो आश्चर्य नहीं आप गरीब के लिए सहानुभूति रखे और अमीर से नफ़रत करें ! ऐसी स्थिति में आपकी कंडीशनिंग ये होगी कि अमीर बुरे होते है वे बेज़रूरत पैसे खर्च कर देते है बजाय किसी गरीब को बचाने के . अब जब इस तरह की कंडीशनिंग आपकी बन जाती है तो आप जब भी आपके पास अमीरी आएगी आप उस अमीरी से दूर हट जायेंगे क्योंकि आपके दिमाग के स्टोर रूम में जो फाइल इंस्टॉल है वो तो अमीर न बनने की है क्योंकि अमीर बुरे होते है. इस तरह की खास घटनाये भी आपकी कंडीशनिंग करती है ,जिसे हम तीसरे तरीके की कंडीशनिंग कहेंगे .
यानि पहली कंडीशनिंग शाब्दिक दूसरी अनुसरण करना और तीसरी विशिष्ट घटनाये .
दिमाग सही तरीके से काम करे इसके लिए आपकी सोच और समझ का दायरा बड़ा होना चाहिए लेकिन ऐसा होता नहीं है पहली बात हम किसी भी बात पर बिना ढंग से सोचे समझे तत्काल प्रतिक्रिया व्यक्त करते है अमूनन हम दिमाग से नहीं दिल से सोचते है लिहाजा हमारे निर्णय और हमारी कंडीशनिंग भावनात्मक होती है .दूसरी बात जब एक बार हम अपनी कोई राय बना लेते है तो ये " ईगो " वाली बात हो जाती है - येन-केन प्रकारेण हम उसे सही ठहराने का प्रयास करते है और दिमाग नाम का स्टोर रूम हमेशा आपकी सोच की रक्षा के लिए तैयार रहता है आपकी सोच के अनुकूल तर्क आपके सामने रखता रहता है !
मैंने कंडीशनिंग पर इतने विस्तार से इसलिए लिखा है क्योंकि यही आपकी गरीबी और अमीरी का मूल तत्व है यही आपके अमीरी या गरीबी नामक पेड़ की जड़ें है . अगर आप गलत कंडीशनिंग के शिकार है तो उसे सुधारा जा सकता है , सुधार के तरीके पर अगली पोस्ट में ...
सुबोध
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