subodh

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Wednesday 24 September 2014

5 . पैसा बोलता है ...


जब आपको बार-बार एक ही बात एक या अलग-अलग  तरीके से कही या समझाई जाती है तो आप उसे   मानसिक तौर पर सच मानने लगते है, जैसे क्लासरूम में मैथ्स का टीचर किसी सवाल के किये गए गलत हल के बाद आपको बार-बार नाकाबिल बताता है और यही बातें टीचर की देखा-देखी आपके क्लासमेट्स भी आपको कहते है , दोहराते है . अपनी कमजोरी को आप बार-बार सुनते है आपके अवचेतन मन तक आपकी कमजोरी का सन्देश बार-बार पहुंचता है तो आप लगातार दोहराये जाने वाले शाब्दिक कंडीशनिंग   के शिकार हो जाते है और  मैथ्स आपकी कमजोरी हो जाती है  और मजे की बात ये है कि आपके टीचर और आपके क्लासमेट्स को पता ही नहीं होता कि उन्होंने किसी का अच्छा-खासा दिमाग बर्बाद कर दिया है , संसार के अधिकांश बच्चों को स्कूल नामक संस्था में अनजाने में ही नकारा और कमजोर बना दिया जाता  है और इस बात का उन्हें इल्म तक नहीं होता !!!
अगर आपमें सही तरीके से सोचने समझने की शक्ति है और  आप उनकी निगेटिव आलोचना को पॉजिटिव लेते है तो मैथ्स के आप ब्रिलियंट स्टूडेंट हो सकते है  लेकिन बच्चो में इतनी गहरी समझ नहीं होती कि वे तर्क सहित अपने दिमाग को सही राह पर रख सके. लिहाजा वे  उसे ही सच मान लेते है जिसे बारबार सुनते है .
यही कंडीशन जीवन के अलग -अलग क्षेत्रो में होती है और आदमी का अवचेतन मन इन्ही से आपको दिशाएँ बताता रहता है ,वो वही बाहर निकालता है जो उसके अंदर डाला गया है बिलकुल कंप्यूटर की प्रोग्रामिंग की तरह . अगर आप कम्पुयटर इस्तेमाल करते है तो समझ सकते है कि कंप्यूटर के कुछ पार्ट सिर्फ पार्ट  है जिसका उपयोग अंदर के प्रोग्राम के अनुसार कार्य करना भर है तो समझ लेवे आपका शरीर तो आपके अंदर के प्रोग्राम के अनुसार प्रतिक्रिया कर रहा है ,आपने अंदर क्या डाला है ,कितना डाला है,सही डाला है या गलत डाला है ये देखना शरीर का काम नहीं है , ये देखना आपके दिमाग का काम है और जो आप लगातार डालते है वही आपकी कंडीशनिंग बन जाती  है. 
अगर पैसे को लेकर आपके पेरेंट्स ने ,  परिवार के लोगों ने,  यार -दोस्तों ने , टीचर्स ने कहा है कि हर कोई अमीर नहीं बन सकता तो आप की कंडीशनिंग यही होगी कि" हर" कोई अमीर नहीं बन सकता और हर कोई में आप भी "हर" है . अगर आप पर्याप्त बड़े हो गए है और बनी हुई कंडीशनिंग को कैसे हटाया जाता है इसे जानते है और पुरानी प्रोग्रामिंग को हटा देते है तो आपके अमीर बनने के पूरे चांसेज है  . 
शब्दों को बोलने और सुनने से पैदा हुई कंडीशनिंग को शाब्दिक कंडीशनिंग कहते है .
-सुबोध  

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