"बेईमान अमीर और ईमानदार गरीब " अक्सर सुनने में आता है.
मैं सुनता हूँ तो इसका जो पहला अर्थ मेरे समझ में आता है वो ये है कि संसार के सारे अमीर बेईमान होते है और संसार के सारे गरीब ईमानदार होते है. ये इसका शाब्दिक अर्थ है . जब मैं इस वाक्य की गहराई में जाता हूँ ,शब्दों के अंदर छुपी हुई भावनाओं को समझने का प्रयत्न करता हूँ तो इसका सही अर्थ समझ में आता है कि ये मुहावरा उन असफल लोगों द्वारा गढ़ा गया है जो अपनी गरीबी पर ईमानदारी का मुलम्मा चढ़ा कर खुद को संतुष्टि देना चाहते है .
वास्तव में ईमानदारी और बेईमानी चरित्र का प्रश्न है और चरित्र के मामले में दोनों ही ईमानदार हो सकते है और दोनों ही बेईमान भी हो सकते है .
दरअसल असफल लोगों ने , पराजित लोगों ने खुद की शर्मिंदगी कम करने के लिए या कहिये खुद को तसल्ली देने के लिए बहुत से उल-जुलूल,ना-समझी भरी बातें या कहिये मुहावरे गरीबी के समर्थन में और अमीरी के विरोध में गढ़ लिए है,प्रसारित कर दिए है ( लोमड़ी के लिए अंगूर खट्टे होते है )
कृपया इस तरह की बेवकूफी भरी बातों में उलझ कर अपना अमीरी हासिल करने का लक्ष्य ना बिसराये . हकीकत में ऐसी बातें करने वाले लोग हारे हुए खिलाडी है ,वे कोशिश करकर देख चुके और असफल हो चुके है उन्हें लगता है कि आपकी क्षमता उनसे बेहतर नहीं है और जब वे हार चुके है तो आप कैसे जीतेंगे ? वे आपको हार के दर्द से बचाना चाहते है - आपके तथाकथित शुभचिंतक जो ठहरे !!
कृपया अपने सुव्यवस्थित प्रयास जारी रखे.
यह बात अच्छे से समझ लेवे कि जैसे शिक्षा के क्षेत्र में ग्रेजुएट होना,राजनीति के क्षेत्र में मंत्री बन जाना ,धर्म के क्षेत्र में मठाधीश बन जाना सफलता माना जाता है ठीक उसी तरह अर्थ के क्षेत्र में अमीर बन जाना सफलता का प्रतीक है
ये वाक्य "अर्थ के क्षेत्र में अमीर बन जाना सफलता का प्रतीक है " दो बार , तीन बार ,चार बार और जब तक आप के मन से ग्लानि ना हट जाये तब तक पढ़ने लायक है .
सुबोध
मैं सुनता हूँ तो इसका जो पहला अर्थ मेरे समझ में आता है वो ये है कि संसार के सारे अमीर बेईमान होते है और संसार के सारे गरीब ईमानदार होते है. ये इसका शाब्दिक अर्थ है . जब मैं इस वाक्य की गहराई में जाता हूँ ,शब्दों के अंदर छुपी हुई भावनाओं को समझने का प्रयत्न करता हूँ तो इसका सही अर्थ समझ में आता है कि ये मुहावरा उन असफल लोगों द्वारा गढ़ा गया है जो अपनी गरीबी पर ईमानदारी का मुलम्मा चढ़ा कर खुद को संतुष्टि देना चाहते है .
वास्तव में ईमानदारी और बेईमानी चरित्र का प्रश्न है और चरित्र के मामले में दोनों ही ईमानदार हो सकते है और दोनों ही बेईमान भी हो सकते है .
दरअसल असफल लोगों ने , पराजित लोगों ने खुद की शर्मिंदगी कम करने के लिए या कहिये खुद को तसल्ली देने के लिए बहुत से उल-जुलूल,ना-समझी भरी बातें या कहिये मुहावरे गरीबी के समर्थन में और अमीरी के विरोध में गढ़ लिए है,प्रसारित कर दिए है ( लोमड़ी के लिए अंगूर खट्टे होते है )
कृपया इस तरह की बेवकूफी भरी बातों में उलझ कर अपना अमीरी हासिल करने का लक्ष्य ना बिसराये . हकीकत में ऐसी बातें करने वाले लोग हारे हुए खिलाडी है ,वे कोशिश करकर देख चुके और असफल हो चुके है उन्हें लगता है कि आपकी क्षमता उनसे बेहतर नहीं है और जब वे हार चुके है तो आप कैसे जीतेंगे ? वे आपको हार के दर्द से बचाना चाहते है - आपके तथाकथित शुभचिंतक जो ठहरे !!
कृपया अपने सुव्यवस्थित प्रयास जारी रखे.
यह बात अच्छे से समझ लेवे कि जैसे शिक्षा के क्षेत्र में ग्रेजुएट होना,राजनीति के क्षेत्र में मंत्री बन जाना ,धर्म के क्षेत्र में मठाधीश बन जाना सफलता माना जाता है ठीक उसी तरह अर्थ के क्षेत्र में अमीर बन जाना सफलता का प्रतीक है
ये वाक्य "अर्थ के क्षेत्र में अमीर बन जाना सफलता का प्रतीक है " दो बार , तीन बार ,चार बार और जब तक आप के मन से ग्लानि ना हट जाये तब तक पढ़ने लायक है .
सुबोध
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