subodh

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Tuesday 30 September 2014

25. पैसा बोलता है ...

मैंने लिखा था कि कंडीशनिंग से शक्तिशाली सिर्फ रीकंडिशनिंग होती है !
ज्यादातर लोग ये सोचते है कि उनके बिज़नेस की सफलता उनके ज्ञान, उनकी योग्यताओं पर निर्भर है , मुझे इस बरसों पुरानी कंडीशनिंग के खिलाफ लिखते हुए दुख हो रहा है ,लेकिन ये  सच का बहुत छोटा सा अंश  है .पूरा सच ये है कि आपके व्यवसाय की सफलता आपकी कंडीशनिंग पर निर्भर है आपकी योग्यता ,आपका ज्ञान और आपकी टाइमिंग सिर्फ आपकी कंडीशनिंग को सपोर्ट करने वाले टूल्स है .
अगर आपकी कंडीशनिंग में "अमीरी पाप है" तो आप अपने व्यवसाय में ऐसा कुछ कर देंगे जिससे आपकी कमाई सीमित हो जायेगी और आपको अमीरी नामक पाप से बचा लेगी जबकि आपका कम्पीटीटर अपना बैंक बैलेंस बढ़ाता रहेगा क्योंकि उसकी कंडीशनिंग आपसे अलग है .
अगर आपका पैसे को लेकर ब्लू प्रिंट एक लाख रुपये साल का है और गलती से आपने उस साल डेढ़ लाख कमा लिए है तो ज्यादा कमाए गए पचास हज़ार आपसे सीधे या उलटे तरीके से खर्च करवा दिए जायेंगे और अगर आपने कम कमाए है तो आपको कोई अतिरिक्त कमाई हो जाएगी ,आपकी कंडीशनिंग कभी आपके साथ अन्याय नहीं होने देगी और ये सिलसिला तब तक चलेगा जब तक आप अपनी कंडीशनिंग को नए सिरे से रीकंडिशन नहीं करेंगे.
नई चीज़ बनाना आसान होता है लेकिन बनी हुई चीज़ को जो  गलत बन गई है नए सिरे से बनाना कई गुना मेहनत मांगता है . अगर आपको अपने लिए  घर बनाना है आप एक प्लाट खरीदते है और  आर्किटेक्ट को बुलाकर उससे प्रोपेरली डिसकस करकर ,जो सलाहें ज़रूरी हो करकर काम शुरू करते है और नया घर बना लेते है .
अब इसे अलग तरीके से समझे आपको अपने लिए  घर बनाना है , आप एक बना-बनाया घर खरीदते है और उसे अपने तरीके से नया बनवाते है तो क्या तरीका होगा ? आप आर्किटेक्ट को बुलाकर उससे प्रोपेरली अपनी ज़रूरते डिसकस करेंगे और वो आपको बताएगा कि आपको बने हुए घर का कौन-कौन सा हिस्सा तुड़वाना है और उसे किस तरीके से नया बनाना है !!!
क्या ये दूसरा हिस्सा उतना ही आसान है जितना पहला हिस्सा था ?
मुझे याद है मेरे पड़ोस में रहने वाले कपूर साहब के साथ एक समस्या आई थी .  उनका लड़का JUNIOR K .G . में था. अपने बेटे को  श्रीमती कपूर अल्फाबेट सिखाने लगी- जैसाकि अमूनन हर घर में किया जाता है . यहाँ तक सब ठीक था अल्फाबेट में जब Q सिखाया गया तो श्रीमती कपूर ने बच्चे को Q माने रानी सीखा दिया ( आप गौर करें Q  के साथ अल्फाबेट की बुक  में रानी  की तस्वीर  बनी होती है ) और ये सिलसिला करीबन हफ्ता भर चलता रहा 
P  माने पैरेट, Q  माने रानी,R  माने रेट ,बच्चा दिन भर अल्फाबेट दोहराता रहता माँ उसको लाड करती रहती  . बच्चा भी खुश बच्चे की माँ भी खुश कि मेरा बेटा बड़ी तीव्र बुद्धिवाला है , संडे को मैं और कपूर साहब बाहर बैठे हुए थे ,उनका बेटा भागता दौड़ता  आता और अल्फाबेट दोहराता , अचानक कपूर साहब ने अपने बेटे को बुलाया और कहा "अंकल को अल्फाबेट  सुनाओ" . 
बेटे को जो याद था उसने सुना दिया  P  माने पैरेट Q  माने रानी R  माने रेट.. 
मैंने टोका "'बेटे Q  माने क्वीन "  
"नहीं अंकल Q  माने रानी "
आपको शायद आश्चर्य हो कपूर साहब को अपने बेटे को Q  माने रानी को भुलाने, Q  माने क्वीन समझाने,सिखाने और याद करवाने में तकरीबन चार महीने का वक्त लगा !!!
ये रीकंडिशनिंग का प्रोसेस  है .
एक छोटे बच्चे की कुछ दिनों की गलत कंडीशनिंग जब इतनी भारी पड़ती है ,वयस्क लोगों की कंडीशनिंग तो सालों से हो रही है -मैं ये सोचकर दशतजदा हो जाता हूँ कि इन्हे तो अपनी गलत कंडीशनिंग का पता ही नहीं है और जब इनको पता चल जायेगा उसके बाद इनकी रीकंडिशनिंग में कितना वक्त लगेगा ? 

- सुबोध 

Monday 29 September 2014

24. पैसा बोलता है ...


जो शख्स कंडीशनिंग का शिकार होता  है वो कंडीशनिंग का शिकार होने के बावजूद स्वयं को स्वस्थ और नार्मल मानता है .उसे आसानी से ये बात समझ में नहीं आती कि उसके निर्णय उसके नहीं होकर उस व्यक्ति के है जिसको देखकर,सुनकर वो ऐसा बना और विकसित हुआ है .
 सालों से ऐसा व्यवहार करते और होते रहने की वजह से ये उसका  कम्फर्ट जोन हो गया है इससे बाहर झांकना उसके  लिए तकलीफदेह होता है लिहाजा वो  अपने खोल में ही सिमटे रहना चाहता  है ,अगर आप उसको  बतायेगे कि उसका  खोल पुराना हो गया है या गंदला गया है तो वो  आपसे नाराज हो जायेगा  और धर्म,समाज,परिवार ,अतीत वगैरह के उदाहरण दे कर खुद को जायज ठहराने का प्रयास करेगा  . 
पिछले दिनों मेरे घर पर मेरा एक दोस्त आया हुआ था उसने रिस्ट वाच पहनी हुई थी , करीबन दो घंटे गप-शप   करने के बाद उठने से पहले उसने समय देखने के लिए अपने मोबाइल का इस्तेमाल किया तो मुझसे रहा नहीं गया मैंने उससे पूछा कि जब तुमने समय अपने मोबाइल से ही देखना है तो तुमने घड़ी क्यों पहनी हुई है,तुम्हारी तो घड़ी भी एक आर्डिनरी घड़ी है कोई डिज़ाइनर या एंटीक  टाइप की भी नहीं है.
मेरा दोस्त पढ़ा लिखा है सालों से मोबाइल ( MOBILE ) इस्तेमाल कर रहा है ,मोबाइल के ढेरों फीचर्स उसकी जानकारी में है लेकिन उसने जो जवाब दिया वो  जवाब हैरान करने वाला था "क्योंकि मेरे पिताजी और दादाजी भी घड़ी पहनते थे इसलिए मैंने घड़ी पहनी हुई है !!!!  "
कुछ लोग समय में जम जाते है ! मेरा दोस्त समय में जम गया है ,उसके दिमाग की कंडीशनिंग ऐसी हो गई है कि घड़ी का उसके लिए कोई भी व्यवहारिक उपयोग न होने के बावजूद वो घड़ी का वजन अपनी कलाई पर ढोता है .
मुझे रिस्ट  वाच पहने हुए करीबन दस साल गुजर गए है !!! 
आपको ?
अगर आपने मोबाइल होने के बावजूद  घड़ी पहनी हुई है तो चेक करें आपने घड़ी क्यों पहनी है ?
क्या आपके पास ऐसा कोई जवाब है जिससे आप खुद को कह सके कि मैं किसी कंडीशनिंग का शिकार नहीं हूँ .अगर आपने ऐसा कोई कारण ढूँढ लिया है तो शुरू का पहला पैराग्राफ पढ़ लेवे !!! 
हो सकता है धन के मामले में हम  किसी कंडीशनिंग का शिकार हो और हमे इसका पता ही नहीं हो !
-सुबोध 

Sunday 28 September 2014

23 . पैसा बोलता है ...

ज्यादातर लोगों के पास न पैसे बनाने की क्षमता होती है और न सम्हालने की .
कुछ लोगों के पास पैसे बनाने की क्षमता होती है लेकिन उन्हें पैसे सम्हालने नहीं आते .
बहुत कम लोगों को पैसा बनाना भी आता है और सम्हालना भी .
आप किस वर्ग में है ?


सुबोध -

22 . पैसा बोलता है ...

पैसे का बहाव बरकरार रखने या पैसे का रिसाव रोकने के लिए सवालों का सामना कीजिये
सबसे अच्छे दोस्त वो सवाल होते है जो आपको मुश्किलों में डालते है
क्या
क्यों
कब
कैसे
कहाँ
……. ?
…….?
सवाल जो भी हो उत्तरों में ईमानदार रहिये ,आपकी समस्या के समाधान के रास्ते आपको नज़र आने लगेंगे.


सुबोध -

21 . पैसा बोलता है ...

कहते है पैसा चलायमान होता है .
सवाल ये है कि ये आपके पास चलकर आ रहा है या आपके पास से चलकर जा रहा है.
चुनौती ये है कि अगर चलकर आ रहा है तो इस आवक को बरक़रार कैसे रखा जाये और अगर आपके पास से चलकर जा रहा है तो इसे कैसे रोका जाये .
इस संसार में पाने वाले भी बहुत है और खोने वाले भी .
आप किस वर्ग में आते है ?

सुबोध -

20 . पैसा बोलता है ...

अमीरी या गरीबी का निर्णय  ऊँची सैलरी या ऊँची कमाई नहीं होता है बल्कि कमाए गए पैसे में से आपने बचाया क्या है , इस से होता है .
" अ " लाख रूपये महीने कमाने वाला बंदा जिसका खर्च 98  हज़ार रूपया महीना है ,और" ब "  जो 30  हज़ार रूपया महीने का कमाता है उसका खर्च 27 हज़ार है तो अमीर "अ" नहीं" ब" होता है अगर 5  साल यानि 60 महीने बाद की इनकी स्थिति समझी जाए तो "अ" 1  लाख  20  हज़ार का और "ब" 1लाख 80 हज़ार का मालिक होता है और ये तो सीधी सी गणित है .
"अ" खर्चे में, लिविंग स्टैण्डर्ड में  आपको अमीर लग सकता है और "ब" गरीब  लेकिन" अ"  और" ब" की 5  साल बाद की बैलेंस शीट जो कहती है वो कुछ अलग ही कहानी है .छोटी सी लगनेवाली 1 हज़ार की एक्स्ट्रा बचत लम्बे समय में कितना बड़ा फर्क  बनती है ये इस उदाहरण  से स्पष्ट है .
                        ये बात अच्छे से समझ लेवें कौन कितना कमाता है, उसका लिविंग स्टैंडर्ट कैसा है अमीरी के खेल में  इस से कोई फर्क नहीं पड़ता , अंत में कौन कितना जोड़ पाता है  , बैलेंस शीट किसकी मजबूत है -फर्क इस से पड़ता है.
             अमूनन अमीर लगने वाले डॉक्टर  ,वकील, चार्टेड अकाउंटेंट जैसे लोगों की स्थिति अंदर से कुछ और हो सकती है

- सुबोध 

19 . पैसा बोलता है ...

सपने छोटे क्यों ?

छोटी सोच वाले
छोटे सपने देखते है
और सिर्फ देखते है.......

-
बड़े सपने देखने पर
शुभचिंतक हो जाते है दहशतज़दा
वे ढूंढते है
बड़ी समस्याओं के लिए
छोटे-छोटे समाधान.
-
नहीं समझ पाते
कि सपने
देखने से नहीं
बल्कि पूरे होते है
सुव्यवस्थित प्रयास से ,
नहीं समझ पाते
कि वे इस किनारे पर है
दुसरे पर उनके सपने
और बीच में समस्याओं की नदी .
-
उन्हें सिर्फ बनाना है एक पुल
इस किनारे से उस किनारे तक
उन्हें पुल बनाने का
जुटाना है सामान
पैदा करनी है काबिलियत
उसके बाद
सपने उनके होंगे.
हाँ, जो भी देखे होंगे,
चाहे बड़े हो या छोटे.
तो छोटे क्यों ?

सुबोध- १४ मई,२०१४



 








18 . पैसा बोलता है ...

अमीर बनने के लिए आपके पास एक ठोस कारण  होना चाहिए जो आपमें इतनी आग पैदा कर सके कि आप मंज़िल पा सके . मंज़िल दूर नहीं है सिर्फ एक बेहतरीन प्लानिंग करकर शुरुआत भर करनी है, बाकि सब अपने आप होता जायेगा - आपका कारण,आपका सपना आपसे करवा लेगा . अगर आपके पास ऐसा कोई कारण नहीं है जो आपको अमीर बनने की  प्रेरणा दे सके तो आपको इतना बता दूँ  अमीर बनने में बहुत-बहुत ज्यादा मेहनत होती है , मंज़िल तक ले जाने वाली सड़क बहुत उबड़-खाबड़ है उसमें ढेरों गड्ढे है और सफलता की सम्भावना भी न के बराबर है. तो बेहतर है पहले एक कारण, एक सपना पैदा कीजिये जो आपको पागल कर सके ,जो आपके होश उड़ा सके , तब इस खेल में शामिल होइए.
-सुबोध

17 . पैसा बोलता है ...

भाग्य खैरात नहीं देता

मैंने
पढ़ा
सोचा
समझा
अवसर देखा
सीखा
किया
और तुमने
पढ़ा
सोचा
समझा
कठिनाईयाँ देखी
और छोड़ दिया.
अब तुम कहते हो
मुझे सफलता भाग्य से खैरात में मिली है.
क्या तुम नहीं जानते
मैंने चूमे है ढेरों मेंढक
पाने को राजकुमार
और तुम छुप गए कछुए के खोल में
बचाने को अपने होठों की खूबसूरती.
मेरे दोस्त !
सफलता भाग्य से मिलती है
लेकिन भाग्य खैरात नहीं देता
क्योंकि
सफलता और भाग्य दोनों
सतत प्रयासों का परिणाम है
जहाँ सिर्फ पड़ाव होते है
मंज़िल नहीं ...

सुबोध
 

Saturday 27 September 2014

16 . पैसा बोलता है ...

                पैसे के लिए बुराई की जड़,हाथ का मैल,पाप की कमाई जैसे विशेषणों का इस्तेमाल करने वाले  शख्स से पैसे के बारे में बात करना एक तकलीफदेह अनुभव होता है . ऐसे शख्स को  पैसे की बुनियादी समझ नहीं होती है सो  पैसा इनके  लिए मज़ाक की बात होती है या फिर ये  लोग अपनी असफलता को जायज ठहराने के लिए कुतर्कों का सहारा लेते है लिहाजा ये  पैसे को ही नाजायज ठहरा देते है  , हकीकत में ये  अपनी खिसियाहट छुपा रहे होते है .
             अगर उनके कुतर्कों का जवाब कुतर्क से ही देना हो तो कुछ जवाब ये हो सकते है -
             अगर पैसा बुराई की जड़ है तो बुराई का पेड़ तो बड़ा विशाल होगा और आश्चर्य ,उस बुराई के पेड़ से अमीरों के लिए सुविधाएँ बरसती है और गरीबों के पास  बुराई की जड़ नहीं है तो उनके लिए तकलीफे हाज़िर हो जाती है !
            अगर पैसा हाथ का मैल है तभी तो गरीब आदमी उस मैल से शीघ्रातिशीघ्र छुटकारा पा लेता है क्योंकि मैल के साथ चिपके रहना उचित नहीं है ! 
            अगर पैसा पाप की कमाई है तो खुश हो जाइये मरने के बाद गरीबों को स्वर्ग मिलेगा और अमीरों को नरक - अगर होता हो तो ! इस जनम में तो स्थिति उलटी सी है !
         हकीकत में ये अपनी अधूरी जानकारी और समझ को लेकर ज़िन्दगी की कठिन डगर को और कठिन बना रहे है ऐसे लोग खुद के साथ-साथ अपने परिवार और रिश्तेदारों  के लिए  भी खतरनाक होते है . गाहे-बगाहे ये अपनी सोच को अन्य लोगो पर भी थोपने का प्रयास करते रहते है ! 
           ऐसे शख्स अगर आपके साथी है तो बेहतर है इनकी पैसे को लेकर नकारात्मक धारणाओं को आप अनसुना कर देवे ,ये खुद भीड़-भाड़ वाले रास्ते पर है और आपको भी उसी रास्ते पर चलाना चाह रहे है जो कतई  उचित नहीं है !!
- सुबोध 

Friday 26 September 2014

15 . पैसा बोलता है ...

            मेरे पास अमूनन कमेंट आते है कि आदमी को मन से अमीर होना चाहिए .पैसा प्रेम जितना महत्त्वपूर्ण नहीं है ,सबसे बड़ी दौलत दोस्ती होती है ,परिवार का प्यार ही सच्ची अमीरी है वगैरह...

             क्या आप भी ऐसा ही सोचते है अगर सोचते है तो आप गलत ट्रैक पर है !

            आप भौतिक  आवश्यकताओं, जरूरतों  को नकार नहीं सकते जिसे पैसा पूरी करता है .

            इसी तरह आप भावनात्मक जरूरतों ,आवश्यकताओं को भी नहीं नकार सकते जिससे  आप अपने परिवार,अपने दोस्तों,रिश्तेदारों के जरिये स्वयं को संपूर्ण करते है .

            मेरे अनुसार यह तुलना ही बेमानी है यह तुलना बिलकुल वैसी ही है कि आपसे पूछा जाये आपके लिए भौतिक जगत   महत्वपूर्ण है या भावना जगत  ?

           इसे साधारण , समझ में आने वाले उदहारण से  समझने के लिए आप समझे कि आपसे पुछा जाये आपके लिए आपके हाथ महत्व पूर्ण है या पैर ?

         आपके लिए यकीनन दोनों ही महत्वपूर्ण है .

           पैसा उन क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण है जिनमें ये काम करता है ,और उन क्षेत्रों में बहुत महत्वहीन है जिनमें ये काम नहीं करता .हो सकता है आपकी अन्य भावनाओ से दुनिया चलती हो लेकिन उनसे आप किसी हॉस्पिटल का बिल नहीं चुका सकते,स्कूल की फीस नहीं भर सकते,रोज़मर्रा की ज़रूरतें पूरी नहीं कर सकते.

          अब भी आपको यकीन नहीं है तो अपनी इन भावनाओं की हकीकत समझने के लिए इनमे से किसी से एक बड़ी रकम उधार लीजिये और फिर उसे भूल जाइये ,जल्द ही आप को यकीन हो जायेगा कि पैसे के क्षेत्र में पैसा कितना महत्वपूर्ण है .
सुबोध -

14. पैसा बोलता है ...

          एक मुहावरा बार-बार सुनने में आता है" पैसे का क्या है ,पैसा तो हाथ का मैल है "

          मैं सोचता हूँ क्या पैसा वाकई हाथ का मैल होता है ? क्या आप अपने शरीर पर मैल रहने देते है ? कोई भी मैल क्यों इकठ्ठा करेगा - सब तो सफाई चाहते है !!,एक बात तो पक्की है कि ऐसी सोच वालों के पास पैसा होता  नहीं है , टिकता नहीं है  क्योंकि इस तरह के वाक्य यही साबित करते है कि हमें पैसे की कोई कदर नहीं है और जिस चीज़ की आपको कदर नहीं होती है वो आपके पास टिकती भी नहीं है .

          एक बात और, ऐसे वाक्य कोई भी अमीर इस्तेमाल नहीं करता क्योंकि उसे ये पता होता है कि " पैसा बहुत कुछ होता है"  और  पैसा हाथ का मैल  नहीं बल्कि उसकी जी-तोड़ मेहनत का फल है ,नतीजा है और मेहनत से कमाई हुई,हासिल की हुई चीज़ की दिल एवं दिमाग में कदर होती है ,उसके लिए कोई ओछे और हलके शब्दों का इस्तेमाल नहीं करता - मजाक में भी नहीं !!

        इस तरह के शब्द या तो गरीब इस्तेमाल करते है या जिन्होंने खुद के दम पर ,अपनी मेहनत और लगन से इसे नहीं कमाया या हासिल किया होता है !

         शब्द आपकी जिंदगी का प्रतिबिम्ब होते है ये आपके अतीत से बनते है वर्तमान से सँवरते है और भविष्य का निर्माण करते है ,इनकी ताकत अनुपम होती है ,इन्हे बोलने और सुनने में सावधानी बरते ,अगर आप ऐसे लोगों के संपर्क में है जो इस तरह के नकारात्मक शब्दों का,वाक्यों का इस्तेमाल करते है तो आप अपने भविष्य को लेकर सावधान हो जाइये !! शब्दों की ताकत को समझिए वे आपको अपरिवर्तित नहीं रहने देते , नकारात्मकता हमेशा खतरनाक होती है,अगर आप अमीरी की डगर पर चलने के इच्छुक है तो जितनी जल्दी हो सके ऐसे शब्दों,वाक्यों को कहने वालों से दूरी बना ले !!!
सुबोध

13 . पैसा बोलता है ...

"बेईमान अमीर और ईमानदार गरीब " अक्सर सुनने में आता है. 
मैं सुनता हूँ तो इसका जो पहला अर्थ  मेरे समझ में आता है वो ये  है कि संसार के सारे अमीर बेईमान होते है और संसार के सारे गरीब ईमानदार होते है. ये इसका शाब्दिक अर्थ है . जब मैं इस वाक्य की गहराई में जाता हूँ ,शब्दों के अंदर छुपी हुई भावनाओं को समझने का प्रयत्न करता हूँ तो इसका सही अर्थ समझ में आता है कि ये मुहावरा उन असफल लोगों द्वारा गढ़ा गया है जो अपनी गरीबी पर ईमानदारी का मुलम्मा चढ़ा कर खुद को संतुष्टि देना चाहते है .
वास्तव में ईमानदारी और बेईमानी चरित्र का प्रश्न है और चरित्र के मामले में दोनों ही ईमानदार हो सकते  है और दोनों ही बेईमान भी हो सकते है . 
दरअसल असफल लोगों ने , पराजित लोगों ने खुद की शर्मिंदगी कम करने के लिए या कहिये खुद को तसल्ली देने के लिए बहुत से उल-जुलूल,ना-समझी भरी बातें या कहिये मुहावरे गरीबी के समर्थन में और अमीरी के विरोध में गढ़ लिए है,प्रसारित कर दिए है ( लोमड़ी के लिए अंगूर खट्टे होते है )
कृपया इस तरह की बेवकूफी भरी बातों में उलझ कर अपना अमीरी हासिल करने का लक्ष्य ना बिसराये . हकीकत में ऐसी बातें करने वाले लोग हारे हुए खिलाडी है ,वे कोशिश करकर देख चुके और असफल हो चुके है उन्हें लगता है कि आपकी क्षमता उनसे बेहतर नहीं है और जब वे हार चुके है तो आप कैसे जीतेंगे ? वे आपको हार के दर्द से बचाना चाहते है - आपके तथाकथित शुभचिंतक जो ठहरे !!
कृपया अपने सुव्यवस्थित प्रयास जारी रखे. 
यह बात अच्छे से समझ लेवे कि जैसे शिक्षा के क्षेत्र में ग्रेजुएट होना,राजनीति के क्षेत्र में मंत्री बन जाना ,धर्म के क्षेत्र में मठाधीश बन जाना सफलता माना जाता है ठीक उसी तरह अर्थ के क्षेत्र में अमीर बन जाना सफलता का प्रतीक है  
ये वाक्य "अर्थ के क्षेत्र में अमीर बन जाना सफलता का प्रतीक है " दो बार , तीन बार ,चार बार  और जब तक आप के मन से ग्लानि ना हट जाये तब तक पढ़ने लायक है . 
सुबोध 

12. पैसा बोलता है ...

पैसा किसी काले व्यक्ति से नहीं कहता कि तुम काले हो इसलिए मैं तुम्हारे पास नहीं आऊंगा  और न ही ये किसी गोरे व्यक्ति से उसके गोरेपन  के कारण नाराज़ रहता है  . ये उस बीमारी से ग्रस्त है जिस बीमारी का नाम" कलर ब्लाइंड" है .
पैसा शिक्षित या अशिक्षित में कोई फर्क नहीं करता - यहाँ शिक्षित से मेरा तात्पर्य अकादमिक शिक्षा से है .
पैसा जाति देखकर चुनाव नहीं करता कि मैं ऊँची जाति वालों के घर में ही रुकुंगा या नीची जाति वालों के घर मैं ही रुकुंगा.
इसी तरह से पैसा ये नहीं कहता कि मैं अमुक धर्म वालों के पास ही रहूँगा  और दुसरे धर्म वालों के पास नहीं रहूँगा .
पैसा किसी की आर्थिक स्थिति से भी प्रभावित नहीं होता कि अमीर के पास ही रहेगा,गरीब के पास नहीं रहेगा या नहीं होगा. 
और तो और पैसा  तो उम्र को भी अहमियत नहीं देता .
ये संसार के सारे बंधनो से आज़ाद है !! 
यह सबको खुली चुनौती देता है कि आओ मुझे हासिल करो ......
अगर कोई कहता है 'मुझे दौलत चाहिए' तो उसे अपनी काबिलियत साबित करनी होगी 
और अगर कोई कहता है 'मुझे दौलत नहीं चाहिए' तो ज़ाहिर सी बात है ये उसको मिलेगी.भी नहीं .
पुरानी कहावत है काबिल आदमी इसे हासिल करता है और नाकाबिल बहाने बनाता है .

सुबोध -

Thursday 25 September 2014

11 . पैसा बोलता है ...

 मेरी पिछली सारी पोस्ट कंडीशनिंग को लेकर लिखी गई है , अब जब आपने कंडीशनिंग के बारे में काफी कुछ पढ़ लिया है और अपनी आज की स्थिति के मूल में क्या है ये भी समझ लिया है तो अब आप  नये तरीके से सोचना -समझना और करना शुरू करें .
पैसे को लेकर आपके मन में जो भी गलत धारणाएँ बनी है, बनाई गई है उन सबको सिरे से ख़ारिज कर देवे . जो आपसे पैसे की बुराई करता है ,आप सिर्फ उसकी मानसिकता को समझने का प्रयास करें और उन कारणों को भी जिस वजह से वो ऐसा कर रहा है फिर देखें कि कही इसी से  मिलती-जुलती फाइल आपके दिमाग में तो नहीं है जो गलती से आप डिलीट करना भूल गए हो ? अगर है तो उसे तत्काल डिलीट कर देवे ,नकारात्मक विचारों का साथ वर्तमान और भविष्य बिगाड़ने के अलावा कोई उपलब्धि नहीं दे सकता . 
ध्यान रखे पैसा तटस्थ होता है वो खुद में कभी गलत नहीं होता, कुछ लोग जो अमीर बन जाते है, बन पाते है ये उनकी काबिलियत होती है . 
जो आपसे कहते है कि ये लोग गलत तरीके से अमीर बने है उन्होंने  संभवतः सिक्के का आधा हिस्सा ही देखा होता है  क्योंकि जिस वर्ग से वे आते है उस वर्ग के खेल के नियम अमीरों के खेल के नियम से अलग होते है ,  अपने वर्ग के नियमों के अनुसार वे सही हो सकते है लेकिन उन्हें अमीरों के खेल के नियम पता नहीं होते लिहाजा अधूरी जानकारी होने की वजह से वे गलत हो जाते है.  उनके तर्क बड़े गौर से सुने ,उन्हें समझे और देखे कि वे गलत कहाँ है, अगर आपके समझ में नहीं आये तो किसी सी.ए. से ,किसी फाइनेंसियल प्लानर से या समाज के सम्मानित व्यक्ति से पूछे बशर्ते वो खुद अमीर हो !  अमीरों की सोच समझने के लिए या तो आपको अमीर होना पड़ेगा या उनका सोचने का तरीका समझना पड़ेगा . 
कृपया ये समझ लेवे अमीरों का सोचना समझना और करना बिलकुल अलग तरीके का होता है अगर आपने  अब भी अपने दिमाग से  "गरीबी" नामक सॉफ्टवेयर डिलीट नहीं किया है तो आपके समझ में ये तरीका नहीं आएगा . 
ये ध्यान रखे लाइम लाइट में रहने वाले लोगों को पता होता है हम हमेशा निशाने पर रहेंगे लिहाजा वे कानून का अक्षरशः पालन करते है - और अमीर वर्ग हमेशा ही लाइम लाइट में रहा है, रहेगा !. अमूनन कोई भी अमीर गलत नहीं होता है बस उनके खेल अलग होते है,खेलने के पाँसे अलग होते है,खेल के नियम अलग होते है और सारा फर्क इसी बात से पड़ता है !! 
- सुबोध 

10 . पैसा बोलता है ...

हम कारण और  परिणाम की दुनिया में रहते है जो कुछ करते है उसके पीछे कोई न कोई  कारण होता है और उस  कारण की वजह से हम कार्य करते है .ज़ाहिर सी बात है किये हुए कार्य का परिणाम भी मिलेगा .
आपकी कंडीशनिंग आपके विचारों को पैदा करती है ,आपके विचार आपकी भावनाओं को , भावनाएं कार्य और कार्य परिणामों को .
अगर आपको अपनी कंडीशनिंग बदलनी है तो पहले स्वयं में स्वीकृति  पैदा करें कि " हाँ ,मुझमें  ये गलत कंडीशनिंग हुई है"
 कब हुई , कहाँ से हुई ,कैसे हुई ,क्यों हुई इन सब की विस्तृत डिटेल तैयार करें
जब आपको ये पता चल जाता है कि  सोचने का वर्तमान तरीका आपका स्वयं का नहीं है बल्कि किसी और का है तो अब आप चुनाव कर सकते है कि  आगे इसी तरीके से सोचना जारी रखा जाए या और कोई नया तरीका अपनाया जाए .
जब आप ये सब स्थिति समझ लेवे तब आप स्वयं को नए सिरे से रि -कंडिशन कर सकते है -- जो आपका खुद का सोचने का तरीका होगा ,अपने भविष्य को ध्यान में रखते हुए अपनी जरूरत के अनुसार आप अब खुद के नियम बना सकते है .
- सुबोध 

9. पैसा बोलता है ...

अगर आपको अहसास हो रहा है कि आपकी  कंडीशनिंग गलत हुई है और उसे सुधारा जाना चाहिए तो  आपको कुछ चरणो से गुजरना पड़ेगा , आइये उन चरणों को समझ लेवे -
1 ) जानकारी- आप किसी भी चीज़ को जब स्वीकार करते है कि हाँ, मुझ में यह दिक्कत है .तभी उस बारे में कुछ हो सकता है . अगर आप उसका होना ही स्वीकार नहीं करेंगे,उसके अस्तित्व से ही इंकार करेंगे तो ज़ाहिर सी बात है उस बारे में कुछ किया भी नहीं जा सकता . अमूनन जब हम अपनी कंडीशनिंग को बदलने की  बात कर करते है तो ज्यादातर लोग उसके अस्तित्व से ही इंकार कर देते है और बरसों से पाली हुई धारणाओं की रक्षा के लिए दिमाग नाम का स्टोर रूम अजीब-अजीब से तर्क देता है और उसका सबसे प्रिय तर्क" भाग्य " होता है .

2 ) जानना  - जब आप ये स्वीकार कर लेते है कि ये कंडीशनिंग गलत है,उचित नहीं तब आपको ये समझना है ,जानना है कि ये सोच पैदा कहाँ से हुई ये कौन सी कंडीशनिंग है- शाब्दिक ,अनुसरणात्मक या विशिष्ट घटनात्मक  ,उस घटना ,उस सोच को बराबर समझे उसका विश्लेषण करेंगे तो आपको समझ में आएगा कि आपकी आज की स्थिति उस घटना की वजह से है आपको बाहर जो परिणाम मिल रहे है उसकी वजह आपके दिमाग में भरा हुआ उस घटना का असर है.पेड़ पर जो फल आ रहे है उसकी वजह जड़ है जिसे उस घटना ने क्षतिग्रस्त कर दिया है . 
3 ) जान छुड़ाना - जब आप ये समझ लेते है कि ये सोचने ,समझने और करने का तरीका आपका  अपना नहीं है बल्कि किसी घटना विशेष ने आपके दिमाग में ये फाइल स्टोर की है तो आपको इस फाइल को डिलीट करना पड़ेगा.
कृपया इसे बराबर समझ लेवे आपका कोई दोस्त अपने लैपटॉप के साथ-साथ आपके लैपटॉप पर भी कोई ऐसा सॉफ्टवेयर  डाउनलोड कर देता है जो आपके काम का नहीं है और  जिससे आपके लैपटॉप की स्पीड स्लो हो जाती है तो आप क्या करेंगे ?
क्या ये समझदारी नहीं है कि आप उस सॉफ्टवेयर को डिलीट कर देवे ?
अगर आपके दोस्त को  उस सॉफ्टवेयर की जिसकी खासियत है कि वो लैपटॉप की स्पीड स्लो कर देता है , ज़रुरत होगी तो अपने लैपटॉप से इस्तेमाल कर लेगा, आप अपने लैपटॉप पर ये अत्याचार क्यों होने देवे ?
तो जब आप अपनी गलत कंडीशनिंग को समझ लेते है और ये जान लेते है कि ज़िन्दगी में आपकी रूकावट की वजह वो गलत इस्टॉल की गई फाइल है  तो उसे भी दिमाग से डिलीट कर देवे . उन चीज़ों से ,धारणाओं से,सोच से मोहब्बत रखने से कोई फायदा नहीं है जो ज़िन्दगी में आपको पीछे रखे हुए है .
 अब जब आप इन तीनो चरणो से गुजर चुके है तो आप कोरे है और नए सिरे से अपनी ज़िन्दगी को आकार देने को तैयार है . अपने दिमाग में अब आप  अमीरी के ,सफलता के ,ऊंचाइयों के तरीके  इनस्टॉल करेंगे !
- सुबोध 


8 . पैसा बोलता है ...

बचपन में धन और धनी लोगों के मामले में हमारे अनुभव कैसे थे ?  ये अनुभव इस मामले में महत्त्वपूर्ण है कि हमारा "आज "सालों बाद भी उस अनुभव से प्रभावित है !
अगर आपने किसी गरीब आदमी को पैसे के अभाव में मरते देखा है और उसी दरम्यान किसी अमीर को अपनी अमीरी का भोंडा प्रदर्शन करते देखा है तो  आश्चर्य  नहीं आप गरीब के लिए सहानुभूति  रखे  और अमीर से नफ़रत करें ! ऐसी स्थिति में आपकी कंडीशनिंग ये होगी कि अमीर बुरे होते है वे बेज़रूरत पैसे खर्च कर देते है बजाय किसी गरीब को बचाने के . अब जब इस तरह की कंडीशनिंग आपकी बन जाती है तो आप जब भी आपके पास अमीरी आएगी आप उस अमीरी से दूर हट जायेंगे क्योंकि आपके दिमाग के स्टोर रूम  में जो फाइल इंस्टॉल है वो तो अमीर न बनने की है क्योंकि अमीर बुरे होते है. इस तरह की खास घटनाये भी आपकी कंडीशनिंग करती है ,जिसे हम तीसरे तरीके की कंडीशनिंग कहेंगे .
यानि पहली  कंडीशनिंग शाब्दिक दूसरी अनुसरण करना और तीसरी विशिष्ट घटनाये .
दिमाग सही तरीके से काम करे इसके लिए आपकी सोच और समझ का दायरा बड़ा होना चाहिए  लेकिन ऐसा होता नहीं है पहली बात हम  किसी भी बात पर बिना ढंग से सोचे समझे तत्काल प्रतिक्रिया व्यक्त करते है अमूनन हम दिमाग से नहीं दिल से सोचते है लिहाजा हमारे निर्णय और हमारी कंडीशनिंग भावनात्मक होती है .दूसरी बात जब एक बार हम अपनी कोई राय बना लेते है तो ये " ईगो  " वाली बात हो जाती है - येन-केन प्रकारेण हम उसे सही ठहराने का प्रयास करते है और दिमाग  नाम का स्टोर रूम हमेशा आपकी सोच की रक्षा के लिए तैयार रहता है आपकी सोच के अनुकूल तर्क आपके सामने रखता रहता है !
मैंने कंडीशनिंग पर इतने विस्तार से इसलिए लिखा है क्योंकि  यही आपकी गरीबी और अमीरी का मूल तत्व है यही आपके अमीरी या गरीबी नामक पेड़ की जड़ें है . अगर आप गलत कंडीशनिंग के शिकार है तो उसे सुधारा जा सकता है , सुधार के तरीके पर अगली पोस्ट में ...
सुबोध 

7 . पैसा बोलता है ...

आपने अपने बचपन में अपने माता-पिता को पैसे को लेकर किस स्थिति में देखा है -पैसे के लिए लड़ते-झगड़ते,हमेशा कम पड़ने की शिकायत करते हुए ?  वे पैसे उड़ानेवाले थे या कंजूस ?  क्या उन्होंने पैसे को  सही तरह से संभाला या बर्बाद होने दिया ?  वे निवेश के मामले में कैसे थे -चतुर या हारे हुए ?  वे जोखिम लेने वाले थे या सुरक्षित मानसिकता वाले ?  उनके पास पैसा टिका रहता था या कभी वाह-वाह और कभी आह -आह की स्थिति रहती थी ?  पैसा आपके घर में ख़ुशी लाता था या तनाव ?  वो आसानी से आता था या बड़ी मुश्किलों से ?

ये सारे सवाल बहुत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इन सवालों में आपकी जड़े है . आप जो कुछ भी आज है उनकी  एक वजह इन सवालों का जवाब है , आपने जो कुछ अपने बचपन में या बड़े होते वक्त देखा है - अपने पेरेंट्स ,अपने अभिभावक , रिश्तेदार,पडोसी द्वारा पैसे को लेकर की गई प्रतिक्रिया या पैसे के प्रति किया गया व्यवहार -उन सब ने आप पर कुछ न कुछ प्रभाव डाला है . आप ऐसे ही वो नहीं बन गए है जो आप है बल्कि देखा  हुआ  व्यवहार  आपके अवचेतन मन को लगातार प्रभावित करता रहा है और उसी वजह से आप ऐसे बने है . 

लगातार किसी एक तरह के व्यवहार को देखने पर वो हमारे मनो-मस्तिष्क पर छा जाता है और जब हम बड़े होते है -अपने देखे हुए नायकों  या विलेन  की तरह तो हम भी वैसे ही व्यवहार करने लगते है जैसा हमने होता देखा है .  , ज़िन्दगी में अपने नायकों को या विलेन को जैसे करते देखा है उनकी कॉपी करना ,उनका अनुसरण करना इस तरह की कंडीशनिंग को  जिसे "अनुसरण करना" कहते है .

जैसा की मैंने पहले बताया था पहली तरह की कंडीशनिंग  शाब्दिक होती और दूसरी तरह की कंडीशनिंग अनुसरण करना होती है .
- सुबोध 

Wednesday 24 September 2014

6 . पैसा बोलता है ...

आप अगर गरीब है या मुश्किल से गुजारा कर पाते है या अमीर है ,जैसे भी है ये आपकी कंडीशनिंग की वजह से  है . पैसे को लेकर आपकी जो कंडीशनिंग हुई है आप उसी के अनुसार बने है , आप चाहे जितने शिक्षित हो,आप चाहे जितना कमाते हो लेकिन आपकी कंडीशनिंग में अगर "अमीरी से नफरत" नामक सॉफ्टवेयर इंस्टॉल किया गया है तो आप कभी अमीर नहीं बन सकते. आप कमाए हुए पैसे को जायज या नाजायज किसी भी तरीके से खर्च कर देंगे , बर्बाद कर देंगे . 
इसे थोड़ा अलग तरीके से समझे -- 
डॉगी में "बॉक्सर" फाइटर ब्रीड होती है - ये मीडियम  साइज की होती है और खूंखार होती है ,जब पहली दफा हम इसके पिल्ले को  घर पर लाये थे तो सभी ने इसका विरोध किया था कि ऐसी ब्रीड घर पर नहीं रखी जाती खासकर ३ बैडरूम वाले फ्लैट में ,लेकिन हमने उसे अपने पास रखा और आज वो हमारे दिए गए निर्देशों के अनुसार खूंखार नहीं है -हमने उसकी कंडीशनिंग से खूंखारता नामक शब्द हटा दिया !!
एक बाज़ का अंडा मुर्गी के घोंसले में गिर जाता है और वो चूजे की तरह व्यवहार करना सीख जाता है और मुर्गा बन जाता है .
एक खूंखार और खतरनाक शेर पालतू बन जाता है , बहुत से ऐसे उदाहरण है जो कंडीशनिंग की ताकत बताते है.
तो कंडीशनिंग वह ताकत है, वो अवस्था है जिसमे अच्छे खासे इंसान को बर्बाद करने की क्षमता होती है !! आपके पैसे को मिटटी में तब्दील करने की इसमें क्षमता होती है , पैसे को छोड़िये आपके हष्ट-पुष्ट शरीर को भी बर्बाद करने की इसमें क्षमता होती है . 
जब आप रोड से गुजरते है तो थोड़ी अपनी ऑंखें खुली रखिये और दिमाग को केंद्रित कर उन हष्ट-पुष्ट  भिखारियों को देखिये जिनमे से 90 % को उनकी कंडीशनिंग ने भिखारी बनाया हुआ है .
कंडीशनिंग  जीवन के हर क्षेत्र में काम करती है - हर क्षेत्र यानि हर क्षेत्र  - कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है जो इस से अछूता हो , आप माने या माने संसार की सबसे बड़ी ताकत यही है  .
यही आपकी गरीबी की वजह है और यही आपकी अमीरी की वजह !!!
- सुबोध

5 . पैसा बोलता है ...


जब आपको बार-बार एक ही बात एक या अलग-अलग  तरीके से कही या समझाई जाती है तो आप उसे   मानसिक तौर पर सच मानने लगते है, जैसे क्लासरूम में मैथ्स का टीचर किसी सवाल के किये गए गलत हल के बाद आपको बार-बार नाकाबिल बताता है और यही बातें टीचर की देखा-देखी आपके क्लासमेट्स भी आपको कहते है , दोहराते है . अपनी कमजोरी को आप बार-बार सुनते है आपके अवचेतन मन तक आपकी कमजोरी का सन्देश बार-बार पहुंचता है तो आप लगातार दोहराये जाने वाले शाब्दिक कंडीशनिंग   के शिकार हो जाते है और  मैथ्स आपकी कमजोरी हो जाती है  और मजे की बात ये है कि आपके टीचर और आपके क्लासमेट्स को पता ही नहीं होता कि उन्होंने किसी का अच्छा-खासा दिमाग बर्बाद कर दिया है , संसार के अधिकांश बच्चों को स्कूल नामक संस्था में अनजाने में ही नकारा और कमजोर बना दिया जाता  है और इस बात का उन्हें इल्म तक नहीं होता !!!
अगर आपमें सही तरीके से सोचने समझने की शक्ति है और  आप उनकी निगेटिव आलोचना को पॉजिटिव लेते है तो मैथ्स के आप ब्रिलियंट स्टूडेंट हो सकते है  लेकिन बच्चो में इतनी गहरी समझ नहीं होती कि वे तर्क सहित अपने दिमाग को सही राह पर रख सके. लिहाजा वे  उसे ही सच मान लेते है जिसे बारबार सुनते है .
यही कंडीशन जीवन के अलग -अलग क्षेत्रो में होती है और आदमी का अवचेतन मन इन्ही से आपको दिशाएँ बताता रहता है ,वो वही बाहर निकालता है जो उसके अंदर डाला गया है बिलकुल कंप्यूटर की प्रोग्रामिंग की तरह . अगर आप कम्पुयटर इस्तेमाल करते है तो समझ सकते है कि कंप्यूटर के कुछ पार्ट सिर्फ पार्ट  है जिसका उपयोग अंदर के प्रोग्राम के अनुसार कार्य करना भर है तो समझ लेवे आपका शरीर तो आपके अंदर के प्रोग्राम के अनुसार प्रतिक्रिया कर रहा है ,आपने अंदर क्या डाला है ,कितना डाला है,सही डाला है या गलत डाला है ये देखना शरीर का काम नहीं है , ये देखना आपके दिमाग का काम है और जो आप लगातार डालते है वही आपकी कंडीशनिंग बन जाती  है. 
अगर पैसे को लेकर आपके पेरेंट्स ने ,  परिवार के लोगों ने,  यार -दोस्तों ने , टीचर्स ने कहा है कि हर कोई अमीर नहीं बन सकता तो आप की कंडीशनिंग यही होगी कि" हर" कोई अमीर नहीं बन सकता और हर कोई में आप भी "हर" है . अगर आप पर्याप्त बड़े हो गए है और बनी हुई कंडीशनिंग को कैसे हटाया जाता है इसे जानते है और पुरानी प्रोग्रामिंग को हटा देते है तो आपके अमीर बनने के पूरे चांसेज है  . 
शब्दों को बोलने और सुनने से पैदा हुई कंडीशनिंग को शाब्दिक कंडीशनिंग कहते है .
-सुबोध  

4 . पैसा बोलता है ...

कंडीशनिंग को समझने के लिए अमूनन जो उदाहरण लिया जाता है उसे ही ले रहा हूँ .

जब हाथी का बच्चा छोटा होता है तो उसे मजबूत रस्सी से बांध दिया जाता है वो मासूम बच्चा खुद को रस्सी से  छुटाने की बड़ी कोशिश करता है लेकिन रस्सी मजबूत होती है और वो छूट नहीं पाता, लगातार कोशिश करने और लगातार हारने के बाद धीरे-धीरे ये बात उसके दिमाग में घर कर जाती है कि रस्सी बहुत मजबूत है और मैं आज़ाद नहीं हो पाउँगा . एक दिन वो हाथी वयस्क हो जाता है अब रस्सी उसकी ताकत से कमजोर है लेकिन चूँकि ये उसके दिमाग में बैठा हुआ है कि रस्सी मजबूत है सो वो प्रयत्न ही नहीं करता - हाथी के दिमाग में जो बैठाया गया है कि तुम रस्सी के मुकाबले कमजोर हो इसे ही कंडीशनिंग कहते है कुछ लोग इसे ब्रेन वाश करना भी कहते है ..

बचपन में बहुत से लोगों के साथ पैसे को लेकर इसी तरह की कंडीशनिंग की जाती है . जैसे अपनी गरीबी की मजबूरी की वजह से या खुद की नाक़ाबिलियत को जायज़ ठहराने के लिए या अपनी विपरीत परिस्थितियों की वजह से - कारण जो भी हो माँ-बाप जब बच्चे से  ये कहते है "पैसा बुराई की जड़ है " और समर्थन में कुछ उदहारण देते हो तब  लगातार ऐसा सुनते-सुनते बच्चे के दिमाग में ये बात बैठ जाती है . वयस्क  होने पर भी ये बात उसके दिमाग से नहीं निकलती . और क्योंकि वो पैसे को बुराई की जड़ मानता है सो जैसे ही उसके पास पैसा आता है वो उस तथाकथित बुराई की जड़ से छुटकारा पाने का प्रयास करता है और येन-केन-प्रकारेण सफल हो जाता है . वो व्यक्ति पैसे को रोक कर भी रखना चाहे तो रोक कर रख नहीं पाता क्योंकि यहाँ उसका अवचेतन मन अपनी सक्रिय भूमिका निभा रहा है .दिमाग चाहता है पैसा रोककर रखे लेकिन दिल इस बुराई की जड़ से छुटकारा चाहता है  ध्यान रहे दिल ( अवचेतन मन ) और दिमाग की लड़ाई में अमूनन  दिल जीतता है और मजे की बात ये है कि इस पूरी प्रक्रिया में उसको पता ही नहीं चलता कि वह किसी कंडीशनिंग का शिकार है.

- सुबोध 

3 . पैसा बोलता है ...

एक सबसे बड़ी समस्या जो आती है वो ये कि आप पैसा कमाते है अच्छे से कमाते है फिर भी रोक कर ,इकठ्ठा करकर नहीं रख पाते . इस बात की गहराई से जांच करें कि पैसे को लेकर आपके अवचेतन मन में क्या है ? क्या ऐसे या इनसे मिलते जुलते वाक्य आपने सुने है या ऐसे किसी वाक्य में आप यकीन करते है -
पैसा बुराई की जड़ है .
अमीर बनने के लिए गलत काम करने पड़ते है
अमीर लालची होते है
अमीर टैक्स की चोरी करते है ,करप्शन को बढ़ावा देते है
अमीर स्वार्थी होते है
अमीर घमंडी  होते है
अमीर चरित्रहीन होते है 
पैसा ख़ुशी नहीं खरीद सकता
पैसा कमाने के लिए खून -पसीना एक करना पड़ता है
हर कोई अमीर नहीं बन सकता
पैसा पेड़ों पर नहीं उगता
पैसा हम जैसे लोगों के नसीब में नहीं है
पैसा हाथ का मैल है
पैसे के पीछे भागनेवाले पागल होते है
उपरवाला दो वक्त की रोटी ठीक-ठाक दे रहा है ज्यादा पैसे का क्या करना है
जिसने चोंच दी है चुग्गा भी वही देगा
मुसीबत के वक्त के लिए पैसा बचा कर रखो
रहने दो, हम इसका खर्च नहीं उठा सकते
अपनी इच्छाओं को कंट्रोल करना सीखो
गरीबों का ध्यान उपरवाला रखता है
स्वास्थ्य ही सर्वोत्तम धन है
कृपया इन शब्दों की गहराई में जाए . ये वे शब्द है जो आपको अमीर बनने से रोक रहे है ,( ऐसे शब्द या तो पैसे की बुराई कर रहे है या पैसे की अहमियत को नकार रहे है या आपका ध्यान पैसे से हटाकर और कहीं केंद्रित करने का प्रयास कर रहे है )अगर आपके सामने आपके बड़े-बुजुर्गों,सगे-सम्बन्धियों ने, दोस्तों ने ,मिलने-जुलने वालों  ने  ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया है या उनके व्यवहार में ऐसा कुछ आपने होते देखा है  तो कृपया चेक करें कि वे शब्द अब भी अवचेतन में असर तो नहीं डाल रहे है - कहीं ये  कंडीशनिंग तो नहीं है .
किसी बिल्डिंग की नींव कमजोर हो  ऊपर के हिस्से को चाहे जितना सुन्दर बना लेवे ,नतीजा क्या होगा आप जानते है . आप चाहे जितना कमा लेवे लेकिन जब  आपकी अतीत की कंडीशनिंग ( आपकी ज़िन्दगी की नींव ) ही सकारात्मक  नहीं हुई है तो  नतीजा तो नकारात्मक होना ही है.  

-सुबोध

2 . पैसा बोलता है ...

बुराई की जड़ क्या है ?

पैसे से प्यार
या 
पैसे से नफ़रत 

इसके जवाब में कुछ लोग कहते है  कि पैसे से प्यार बुराई की जड़ है क्योंकि पैसा पाने के लिए आप गलत काम करते है , लोगों को धोखा देते है , टैक्स की चोरी करते है , पैसे कमाने के पीछे इतने पागल हो जाते है कि परिवार से दूर हो जाते है, धर्म से दूर हो जाते है , लिहाजा पैसे से प्यार नहीं करना चाहिए , उसके लिए पागल नहीं होना चाहिए .आदमी को इतना ही कमाना चाहिए कि उसका गुजारा हो जाए .संग्रह करने की तो ज़रुरत ही नहीं है जब ऊपरवाले ने पेट दिया है तो रोटी भी वही देगा ,इतने पशु है पक्षी है वो कौनसा संग्रह करते है ,देता है न उनको उपरवाला . 
क्या आप इन तर्कों से सहमत है ?
अगर आप इन तर्कों से सहमत है तो इनमे और कौन से तर्क जोड़ना चाहेंगे ?
और 
अगर इन तर्कों से सहमत नहीं है तो क्यों नहीं है , उस स्थिति में आप ऊपर दिए गए तर्कों का क्या जवाब देंगे ?
 कृपया इस पोस्ट को बराबर पढ़े , समझे और तब जवाब देवे . 
ये जवाब आपकी मानसिकता का प्रतिनिधित्व करेंगे  उस मानसिकता का जिस पर आपकी अमीरी या गरीबी निर्भर है !!!!
- सुबोध 

1 . पैसा बोलता है ...

ये वो शै है जो दुनिया को नचाती है ,गरीब तो गरीब पैसे वाला भी इसकी धुन पर नाचता है ,बच्चा हो या बुढ्ढा, साधु हो या गृहस्थ कोई भी इसके मोह से नहीं बच पाया है ,जिसके पास नहीं है वो तो इसे चाहता ही है लेकिन जिसके  पास है वो भी इसे चाहता है इसकी खूबसूरती वही समझ सकता है जिसके पास ये है और इसकी तड़फ वही समझ सकता है जिसके पास ये नहीं है ,संसार के सारे ऐशो आराम ,सारी सुविधाये इसी में समाई है , इसके बारे में ढेरों तरीके से लिखा गया है ,बड़े-बड़े विद्वानों ने अलग-अलग तरीके से इसकी व्याख्या की है , इसे पाने के,हासिल करने के अजब-गजब तरीके बताये है . कोई बिरला ही होगा जो इसके पीछे पागल नहीं है , इसकी ताकत इतनी ज्यादा है कि संसार के अधिकांश युद्ध इसी के लिए लड़े गए संसार के अधिकांश  धर्म इसे निषिद्ध घोषित करते है फिर भी इसके बिना उनका काम नहीं चलता ..

जी हाँ , इस ताकतवर ,कद्दावर शै को दुनिया जिस नाम से बुलाती है साधारण जुबान में उसे पैसा कहते है ,जो  अनमोल है अपने आप में बेजोड़ है !!!

ये ब्लॉग पैसे के बारे में ही है . निवेदन आपसे ये है कि इसमें मेरे  अनुभव,मेरे सच,मेरे तरीके मैंने बताये है हो सकता है वे अनुभव,वे सच,वे तरीके आपके लिए कारगर न हो क्योंकि मेरी परिस्थितियाँ और आपकी परिस्थितियां अलग-अलग हो सकती है ,और उसी के मुताबिक अनुभव,सच और तरीके भी बदल जाते है , मेरी बात को पढ़िए ,समझिए लेकिन मानिए मत क्योंकि अपने सच की तलाश व्यक्ति को खुद ही करनी पड़ती है ,अपने तरीके खुद बनाने पड़ते है और ज़ाहिर सी बात है अनुभव तो अलग ही मिलेंगे !तो आइये उस रास्ते  पर बढे जिसे लोग अमीरी का रास्ता  कहते है .......
सुबोध