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Friday 14 December 2018

86. सही या गलत -निर्णय आपका !

आपके पास अच्छा विचार है जिस से आपको लगता है अच्छा पैसा बनाया जा सकता

 है ,समस्या पैसे की है . तलाश कीजिये पैसा कहाँ मिलता है ,आपको जो-जो ऑप्शन
 नज़र आये नोट करते जाए . अपने विचार को कागज पर उतारे. दिमाग में विचार होना अलग है कागज पर होना वो भी इस तरह कि आप जो एक्सप्लेन करना चाहे वो प्रोजेक्ट देखनेवाले के बिलकुल समझ  में आ जाये - बिलकुल ही अलग होता है . हो सकता है पहली -दूसरी- तीसरी बार में वो क्लियरिटी नहीं आये जो सामने वाले  के दिमाग में बैठ जाए लेकिन प्रयास जारी रखे और तब तक जारी रखे जब तक जो बात प्रजेंटेशन में आप चाहते है वो आ न जाये .
  एक-एक सवाल जो आपसे पूछे जा सकते है उनका तर्क सहित क्या उत्तर देना है 
आपको पता होना
चाहिए ये समझ लीजिये जो भी आप तैयारी करे युद्ध स्तर पर करें जाने इसी पर 

आपका आर्थिक भविष्य टिका हुआ है . ध्यान रहे विकल्प की सम्भावना आपकी 
काबिलियत को जंग लगा देती है .सो तैयारी पूरे मन से करे -कृपया आधी- अधूरी
तैयारी के साथ मार्किट में जाकर अपनी इमेज ख़राब ना करें .
                          बेहतर है लोन के लिए किसी बैंक में जाए ,ख़ुदा ना 
खास्ता वो आप का लोन नामंज़ूर कर देते है तो उनसे जानकारी करे आपके प्रोजेक्ट में 
कमी क्या रह गई कृपया कमी को समझे और उसे दुरुस्त करे फिर और किसी बैंक 

में जाए वो भी अगर मना करते है तो उनसे भी कमी पूछे और उसे दूर करें और 
ये सिलसिला तब तक अपनाते जाए जब तक आप का लोन मंजूर ना हो जाए . जब 
एक बार बैंक से लोन मंजूर हो जाता है तो व्यक्तिगत संपर्कों से लोन लेना इतना मुश्किल नहीं होता.
 इस दरमियान आप बिलकुल ही एक नई जबान सीखेंगे जो आप को इस क्षेत्र के 
मास्टर्स सिखाएंगे . ध्यान रहे अमीर आसमान से नहीं टपकता इसी धरती पर आकर
बनता है और इसी तरह के प्रोसेस से गुजरता है - जब वो गुजर सकता है तो आप
क्यों नहीं ?  

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Thursday 13 December 2018

85. सही या गलत -निर्णय आपका !

 कार्य छोटा या बड़ा नहीं होता - कार्य करने वाले का समर्पण ,कार्य का आकार  -प्रकार ,कार्य की विस्तृत रूप-रेखा उसे छोटा या बड़ा बनाती है - एक अकेला जुलाहा वस्त्र बुनता है तो वो जुलाहा है लेकिन ऐसे ही हज़ारों जुलाहे मिल में जाकर वस्त्र बुनते है तो वहां वो कारीगर हो जाते है और मिल  इंडस्ट्री हो जाती है. ये आप पर है कि अपने कार्य में आप अकेले रहना चाहते है या उसे बड़ा बनाना चाहते है .
            अगर आपका दिमाग छोटा होगा तो पैतृक संपत्ति में मिला हुआ बड़ा कार्य भी आप छोटा कर लेंगे कि काम  में बहुत टेंशन है ,एम्प्लोयी को मैनेज करना टेढ़ी खीर है ,जिसको उधार दो पैसा लेकर भाग जाता है माल बेचते वक्त भी भिखारी है और पेमेंट मंगाते वक्त भी .ऐसे बड़े काम का क्या फायदा वगैरह -वगैरह आपके तर्क होंगे और बने बनाये बड़े नेटवर्क को काट-पीट कर आप  अपने कम्फर्ट जोन में आप आ जायेंगे.
अगर आपका दिमाग बड़ा होगा तो आप एक बड़ा नेटवर्क बनाएंगे . एम्प्लाइज काकारीगरों का,माल बनाने वाले ,बेचनेवालों का ,खरीदारों का आढ़तियों का दलालों का इंडस्ट्री या व्यवसाय में लगने वाली हर छोटी- बड़ी ज़रुरत की लिस्ट बनाकर उस पर कार्यवाही करेंगे व्यवसाय को बड़ा बनाने के लिए आप अपने "ईगो " को छोटा करकर हर छोटा -बड़ा काम करेंगे -न भूख़ की परवाहन प्यास की सुध  ,न समय की चिंता न भाग-दौड़ का तनाव , न थकान की फ़िक्र ,  यानी आप "आप" न होंगे सिर्फ

 एक उद्देश्य रह जायेंगे कि किसी भी तरह सोच साकार हो.

कहने का मतलब कार्य कोई भी छोटा या बड़ा नहीं होता वो "आप" है जो उसे छोटा या बड़ा बनाते है .

Wednesday 12 December 2018

84. सही या गलत -निर्णय आपका !

कार्य कोई भी छोटा या बड़ा नहीं होता ,कार्य करने वाले की मानसिकता

छोटी या बड़ी होती है .ध्यान रखे कल की नाई की दूकान आज 


सैलून हो जाती है ,कल की दरजी की दुकान आज बूटीक शॉप  हो 


जाती है - ढेरों उदहारण है. 

समाज  की निगाहों में कल का  छोटा काम,ओछा काम आज

क्रिएटिव होकर इंडस्ट्री बन गया है .आप प्रत्येक कार्य में श्रेष्टता

ही देखें इस से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस तरह के

व्यवसाय में है या आपके जिम्मे किस तरह का कार्य है-समाज उसे

ओछी निगाह से देखता है या नहीं इससे भी कोई फर्क नहीं

पड़ता ,आपकी ज़िन्दगी में फर्क डालने वाले आप खुद है दूसरा 

कोई नहीं . अपने काम से प्रेम करे उसे सम्मान दे और 

अपना श्रेष्ट दे - अमीर यही करते है और वो जानते है कि छोटे से

बड़ा बनने के लिए कर्ता को दिल और दिमाग से  छोटानहीं 

बड़ा   होना चाहिए .


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Monday 10 September 2018

83. सही या गलत -निर्णय आपका !

जो भी कदम आप उठाये पूरी तरह तैयारी करकर ही उठाये . उठाये गए कदम पर अडिग रहे जब काम शुरू करेंगे तो बहुत से तथाकथित शुभचिंतक आपकी भलाई के लिएबहुत सी सलाहें देंगे -लेकिन आप सिर्फ अपनी सोची गयी रणनीति पर कार्य करें ,आप का दिमाग खुला होना चाहिए - उनकी राय में वाकई में  दम है तो स्वीकार कीजिये लेकिन सिर्फ उन्हें ओब्लाइज़ करने के लिए अपनी पूर्व नीति में किसी तरह का बदलाव न करें.

      कदम उठाने से पहले दो बार सोच लेवे क्योंकि एक बार उठाया हुआ कदम वापिस लेना आसान नहीं होता वापिस लिया हुआ कदम पैसे केअलावा,मेहनत,समय ,आत्मविश्वास और मार्किट में आपकी इज्जत को भी नुकसान पहुँचाता है .
               
संसार में हर व्यक्ति ने कभी न कभी कोई न कोई गलती की है  सो गलतियों या असफलता से न घबराएं अगर आपका लिया गया निर्णय या रणनीतिगलत भी होती है तो साफ़ मन से अपनी असफलता स्वीकार करें ,अपनी असफलता की जिम्मेदारी ले अगर आप जिम्मेदारी नहीं लेंगे कोई बहाना बनाएंगे या अपनी असफलता का ठीकरा किसी और के माथे फोड़ेंगे तो ये निश्चित है आपका अगला प्रोजेक्ट भी असफल ही होगा क्योंकि आपने अपने व्यक्तित्व में उचित सुधार नहीं किया है  .अच्छे लीडर और अमीर लोग हमेशा अपनी असफलता,अपनी गलतियों को स्वीकार करते है क्योंकि उन्हें पता है कि सुधार हमेशा जिम्मेदारी से पैदा होता है.
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Wednesday 5 September 2018

82. सही या गलत -निर्णय आपका !

अमीरों की हिम्मत जुआरियों  वाली हिम्मत नहीं होती चूँकि ये

अंकों में बड़े साफ़-सुथरे होते है इसलिए एककेलकुलेटेड  रिस्क लेते
 
है ,जहाँ हारने की सम्भावना न के बराबर होती है ,रिस्क एंड 

रिवॉर्ड रेश्यो इनके फेवर  में होता है ,और अगर चीज़ें इनके

अनुमान के मुताबिक नहीं होती तो इनमें इतनी काबिलियत होती है

कि परिस्थितियों  के अनुसार खुद को बदल कर कार्य कर सके या 

चीज़ों से अपने अनुसार कार्य करवा सके . इसके वाबजूद भी अगर

इनका कोई प्रोजेक्ट फ़ैल हो जाता है तो ये चूँकि अपने किसी
प्रोजेक्ट में अपना सब कुछ न झोंक कर  30 -40 % तक ही डालते है  या फिर ये एक सिस्टम के तहत मार्किट से पूँजी उगाहते है सो ये पूरी तरह बर्बाद नहीं होते . जबकि गरीब आदमी अपनी पूंजी के साथ-साथ बीबी  के गहने ,बच्चों की बचत ,रिश्तेदारों-दोस्तों तक की पूँजी अपने प्रोजेक्ट में डाल देता है - उसकी असफलता की कल्पना ही दर्दनाक होती है .उसे दो मोर्चों पर लड़ना होता है पहला प्रोजेक्ट की सफलता दूसरा पूँजी की सुरक्षा जबकि अमीर सिर्फ प्रोजेक्टकी सफलता पर ही ध्यान केंद्रित करता है.
-सुबोध 

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Tuesday 24 July 2018

81. सही या गलत -निर्णय आपका !

जो लोग जोखिम लेते है ,गलतियां करते है और उन गलतियों से 


सीखते है वे उन लोगों से हमेशा बेहतर होते है जो लोग जोखिम


से,नुकसान से डर कर गलतियां ही नहीं करते . क्योंकि


इस मानसिकता के लोग हिम्मती होते है और  एक कहावत बड़ी 


लोकप्रिय है " समझदार पीछे छूट जाते है और हिम्मती आगे

 

निकल जाते है ." ये गलतियों से इतना ज्यादा सीख लेते है कि 


आगे से उन गलतियों का इन्हे पहले से ही अंदाजा हो जाता है 


और 


इसका नतीजा ये होता है कि धीरे-धीरे इनके काम में निपुणता


आने लगती है और अगले किसी प्रोजेक्ट में ये इतनी बड़ी 


सफलता हासिल करते है कि पिछली सारी असफलताओं की भरपाई


हो जाती है और इन्हे ईनाम में वो कुछ मिलता है जिसके बारे में


किनारे पर खड़े हुए लोग सिर्फ सोच सकते है .



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Monday 23 July 2018

80. सही या गलत -निर्णय आपका !

अकादमिक एजुकेशन सिस्टम में गलतियों का नतीजा पनिशमेंट होता है और वहां उन्हें गलतिया न करने का प्रशिक्षण दिया जाता है . जब ये कहा जाता है कि "गलतियां ही सबसे अच्छी टीचर होती है " ये उन्हें समझ में नहीं आता लिहाजा अपनी अकादमिक एजुकेशन पूरी करने के बाद भी वो लोग भावनात्मक रूप से जोखिम लेने के लिए तैयार नहीं होते और नतीजे में वो कोई ठीक-ठाक नौकरी पकड़ लेते है और अपनी वर्तमान नौकरी को अपनी वित्तीय सुरक्षा का जरिया मानते हुए ज़िन्दगी गुजारने लगते है ,बिना इस बात को समझे  कि नौकरी वित्त के क्षेत्र में एक दीर्धकालीन समस्या का अल्पकालीन समाधान है .वे लोग अपनी 


वर्तमान नौकरी में ही वित्तीय सुरक्षा और वित्तीय स्वतंत्रता 


देखते,समझते है जबकि नौकरी,वित्तीय सुरक्षा और वित्तीय 


स्वतंत्रता तीनो अलग-अलग स्थितियां होती है .


अमीर  मानसिकता के लोग इस बात को समझते है इसलिए वे 

लोग नौकरी की सुरक्षा ( वक्त-वक्त पर अपने c .v. में ऐसा कुछ 

जोड़ते रहना जिससे उनकी मार्किट में डिमांड बनी रहे ) के साथ ही

अन्य कमाई के तरीके से खुद को वित्तीय रूप से सुरक्षित करने

की कोशिश करते रहते है. 

पोस्ट 59  भी देखें .


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Thursday 19 July 2018

79. सही या गलत -निर्णय आपका !

अमीर बनने के लिए जो तीन महत्वपूर्ण कदम होते है आइये उन्हें समझे -

1  बनना
2  करना
3  पाना
जब आप अपने लक्ष्य  (3  पाना ) निर्धारित कर लेते है तो 

आपको समझ में आने लगता है कि लक्ष्य हासिल  करने के 

लिए आपने क्या - क्या करना(2 .करना ) है आपकी टू डू

लिस्ट  बन जाती है और आप उसी के अनुसार कार्य करने 

लगते है . आप देखते है,समझते है कि इस कार्य को अमीर

कैसे करते है जैसे-जैसे वो करते है आप करने का प्रयास 

करते 

है लेकिन आपको सफलता नहीं मिलती आप पूरी तरह खुद को 

री -चेक करते है कि गलती कहाँ से हो रही है,ज़रूरी सुधार 

करते है फिर भी सफलता नहीं मिलती अब आप परेशान है 

और 

असफलता को स्वीकार कर पूरी उम्र के लिए अमीर बनने का 

विचार त्याग देते है .

एक स्टडी के मुताबिक जो नए  प्रोजेक्ट आते है उनमे से 90 

प्रोजेक्ट आने वाले 5  साल में बंद हो जाते है इतनी बड़ी 

संख्या में प्रोजेक्ट फ़ैल होने का सही मायने में अर्थ क्या

 है इस बारे में सोचिये समझिए कि गलती कहाँ हो रही है .

आपके द्वारा  जो गलती हो रही है वो होने (1 .बनना ) में है . 
आप ने अमीरों के लक्ष्य बनाये,उनकी तरह काम किया लेकिन 

वैसे हुए नहीं - मानसिकता में आपके अंदर अभी भी छोटा डरा 

हुआ मुर्गा बैठा है जिसे हमेशा आशंका रहती है कि अब 

आसमान गिरने वाला है . यही सोच ,यही मानसिकता आपकी 

असफलता का कारण है . आपको पाने के लिए करने के साथ-

साथ बनना भी पड़ेगा .वो मानसिकता भी खुद में विकसित

करनी पड़ेगी जो अमीरों में होती है . उस छोटे डरे हुए मुर्गे 

को 

अपनी ज़िन्दगी से दूर भागना होगा जिसे हमेशा आसमान 

गिरने की आशंका रहती है 
.
इस सन्दर्भ में पोस्ट 41  और 42  भी देखे.


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Tuesday 17 July 2018

78.सही या गलत -निर्णय आपका !

अमीर और गरीब के बीच जो इकलौता फर्क होता है वो उसके चुनाव का है. ज़िन्दगी हर लम्हे चुनाव का विकल्प देती है वो क्या चुनता है इसी से उसका अमीर या गरीब बनना तय होता है . तनख्वाह मिलने पर अमीर मानसिकता का आदमी पहले 10 % या 20 % जो भी उसने निश्चित कर रखा है ,खुद को देगा ( जहाँ उसने इन्वेस्ट करना है,सेव करना है ) उसके बाद अपने बिल चुकाएगा ,अपने खर्चे पूरे करेगा और फिर अगर कुछ बचता है तो अपनी इच्छाएं पूरी करेगाजबकि गरीब मानसिकता का आदमी पहले अपने बिल चुकाएगा, अपने खर्चे पूरे करेगाइच्छाएं पूरी करेगा फिर अगर कुछ बच गया तो कहीं इन्वेस्ट करेगा या सेव करेगा.

इसी तरह से खाली समय में अमीर मानसिकता का आदमी अगर टी.व्ही . देख रहा है तो कोई बिज़नेस चैनल देखता है जबकि गरीब मानसिकता का आदमी कोई पिक्चर या सीरियल देखता है . न्यूज़ पेपर पढ़ने में  भी आप फर्क महसूस कर सकते है अमीर मानसिकता का आदमी इकॉनमी या किसी व्यवसाय के बारे में पढ़ेगा जबकि गरीब मानसिकता का आदमी हत्या,लूट,चोरी,बलात्कार जैसी ख़बरें पढ़ेगा . ये  साधारण सी नज़र आनेवाली बातें लम्बे समय में ज़िन्दगी पर बहुत बड़ा फर्क डालती है . आपका चुनाव ही आपका भविष्य तय करता है . इसलिए जो कुछ भी आप चुने पूरी तरह सोच-समझ कर चुने .

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Sunday 6 May 2018

77.सही या गलत -निर्णय आपका !

आपकी ज़िन्दगी आपके चुनावों का परिणाम है .आप जो चुनते है वैसे ही बनते हैज़िन्दगी आपके सामने हर लम्हे चुनने का अवसर देती है ये आप पर है ,आपकी भविष्यदृष्टि पर है कि आप क्या चुनते है .

सुबह 6  बजे आप नींद से जागते है ,ये आप का चुनाव है कि आप आज बिस्तर छोड़ेंगे या नहीं ,आप बिस्तर छोड़ने का चुनाव करते है .यहाँ फिर चुनाव है कि आप घूमने जायेंगे (स्पोर्ट्स शू पहनेंगे या स्लीपरटी-शर्ट -बरमूडा में जायेंगे या कुर्ते पजामे में ,कौन से पार्क में जायेंगे,सिर्फ टहलेंगे या जॉगिंग करेंगे  वगैरह-वगैरह)   या न्यूज़ पेपर  पढ़ेंगे (ढेरों ऑप्शन) या टी.व्ही . देखेंगे (ढेरों ऑप्शन पिक्चर देखेंगे ,गाने सुनेंगे ,न्यूज़ देखेंगे - और इनमे भी ढेरों ऑप्शन ) कहने का मतलब ज़िन्दगी  बार-बार हर पल तरह-तरह के चुनाव का मौका आपको देती है,यह आप पर है कि आप क्या चुनते है , अपनी ज़िन्दगी को क्या आकार देते है.
अगर आपके पास उचित शिक्षा है ,सोचने समझने की क्षमता है प्रॉपर मोटिवेशन है तो आप  उस व्यक्ति से कुछ अलग चुनेंगे जिनमे ये गुण नहीं है.आपका दिमाग ही आपकी शक्ति है -जो आपको सही और गलत की पहचान कराकर आपसे सही का चुनाव करवाता है. अपने शरीर के साथ -साथ उसे भी खुराक दीजिये . 90 % लोग शरीर को खुराक देने का चुनाव करते है दिमाग को नहीं -इसीलिए इतनी ज्यादा गरीबी है - गरीबी की वजह न सरकार हैन समाज हैन परिवार है बल्कि इसकी वजह गरीब आदमी का खुद का चुना हुआ एक गलत चुनाव है.


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Saturday 5 May 2018

76. सही या गलत -निर्णय आपका !

गरीब असफलता के डर से सिस्टम बनाने का रिस्क न लेकर किसी


और के  सिस्टम के लिए काम करने का चुनाव करता है यानि


किसी और को अमीर बनाने का चुनाव करता है .गरीब का डर 


अमीर के लिए रिवॉर्ड होता है. गरीब अपनी अधूरी समझ की

 

वजह 


से यह समझता है कि अमीर का सिस्टम उसका शोषण करता है


जबकि हकीकत में गरीब खुद अपना शोषण करता है. अपनी


तथाकथित सुरक्षा के लिए वह कम मजदूरी पर भी कार्य करता 


रहता है ज्यादा हताश होने पर वो अपना जॉब बदलता है ,बॉस


बदलता है लेकिन खुद के सोचने के तरीके को नहीं  बदलता है 


उसने सिर्फ पैसे के लिए,सिस्टम के लिए काम करना सीखा हुआ 


है 


और अधूरी शिक्षा की कीमत वो अपनी  पूरी  जिंदगी चुकाता रहता


है काश उसने पैसे से अपने लिए काम करवाना सीखा होता या


असफलता के डर को मैनेज करना सीखा होता सिस्टम के लिए


काम करना सीखने की बजाय सिस्टम बनाना सीखा होता . 



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