subodh

subodh

Friday 26 September 2014

15 . पैसा बोलता है ...

            मेरे पास अमूनन कमेंट आते है कि आदमी को मन से अमीर होना चाहिए .पैसा प्रेम जितना महत्त्वपूर्ण नहीं है ,सबसे बड़ी दौलत दोस्ती होती है ,परिवार का प्यार ही सच्ची अमीरी है वगैरह...

             क्या आप भी ऐसा ही सोचते है अगर सोचते है तो आप गलत ट्रैक पर है !

            आप भौतिक  आवश्यकताओं, जरूरतों  को नकार नहीं सकते जिसे पैसा पूरी करता है .

            इसी तरह आप भावनात्मक जरूरतों ,आवश्यकताओं को भी नहीं नकार सकते जिससे  आप अपने परिवार,अपने दोस्तों,रिश्तेदारों के जरिये स्वयं को संपूर्ण करते है .

            मेरे अनुसार यह तुलना ही बेमानी है यह तुलना बिलकुल वैसी ही है कि आपसे पूछा जाये आपके लिए भौतिक जगत   महत्वपूर्ण है या भावना जगत  ?

           इसे साधारण , समझ में आने वाले उदहारण से  समझने के लिए आप समझे कि आपसे पुछा जाये आपके लिए आपके हाथ महत्व पूर्ण है या पैर ?

         आपके लिए यकीनन दोनों ही महत्वपूर्ण है .

           पैसा उन क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण है जिनमें ये काम करता है ,और उन क्षेत्रों में बहुत महत्वहीन है जिनमें ये काम नहीं करता .हो सकता है आपकी अन्य भावनाओ से दुनिया चलती हो लेकिन उनसे आप किसी हॉस्पिटल का बिल नहीं चुका सकते,स्कूल की फीस नहीं भर सकते,रोज़मर्रा की ज़रूरतें पूरी नहीं कर सकते.

          अब भी आपको यकीन नहीं है तो अपनी इन भावनाओं की हकीकत समझने के लिए इनमे से किसी से एक बड़ी रकम उधार लीजिये और फिर उसे भूल जाइये ,जल्द ही आप को यकीन हो जायेगा कि पैसे के क्षेत्र में पैसा कितना महत्वपूर्ण है .
सुबोध -

No comments:

Post a Comment