कार्य कोई भी छोटा या बड़ा नहीं होता ,कार्य करने वाले की मानसिकता
छोटी या बड़ी होती है .ध्यान रखे कल की नाई की दूकान आज
सैलून हो जाती है ,कल की दरजी की दुकान आज बूटीक शॉप हो
जाती है - ढेरों उदहारण है.
समाज की निगाहों में कल का छोटा काम,ओछा काम आज
क्रिएटिव होकर इंडस्ट्री बन गया है .आप प्रत्येक कार्य में श्रेष्टता
ही देखें , इस से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस तरह के
व्यवसाय में है या आपके जिम्मे किस तरह का कार्य है-समाज उसे
ओछी निगाह से देखता है या नहीं इससे भी कोई फर्क नहीं
पड़ता ,आपकी ज़िन्दगी में फर्क डालने वाले आप खुद है दूसरा
कोई नहीं . अपने काम से प्रेम करे उसे सम्मान दे और
अपना श्रेष्ट दे - अमीर यही करते है और वो जानते है कि छोटे से
बड़ा बनने के लिए कर्ता को दिल और दिमाग से छोटानहीं
बड़ा होना चाहिए .
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