subodh

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Tuesday 10 February 2015

34 . ज़िंदगी – एक नज़रिया


तुम्हे पता नहीं है क्या होगा जब तुम कुछ करने की कोशिश करोगे हो सकता है तुम असफल हो जाओ या हो सकता है सफलता तुम्हारे कदम चूमे लेकिन अगर तुम कुछ भी कोशिश नहीं करोगे तो ये निश्चित है तुम्हारे साथ कुछ भी नहीं होगा न सफलता और न ही असफलता तुम जैसे हो वैसे ही रहोगे या तुम खुद ही पिछड़ जाओगे ज़माने की तेज चाल के मुकाबले लेकिन सोचना अपने खाली समय में कि क्या उपरवाले ने तुम्हे आगे बढ़ने के लिए भेजा है या ठहरकर सड़ने के लिए - ठहरा हुआ हर कुछ सड़ जाता है चाहे वो पानी हो या विचार हो या इंसान हो !!!!
सो ठहरो मत, रुको मत , मत बैठो शांत , करते रहो कुछ न कुछ सार्थक , चलते रहो, आगे बढते रहो और हर पल कुछ नया पाने का प्रयास करते रहो क्योंकि कुछ करना ही, कुछ पाना ही तुम्हे वहां पहुंचाएगा जहाँ तुम्हे होना चाहिए , अपने उस होने की तलाश कभी बंद मत करना , जिस दिन तुम ये तलाश छोड़ दोगे समझना उसी क्षण तुम्हारी मृत्यु हो गई है , ठहरना एक शून्यता है और शून्यता मृत्यु तुल्य है .या यूँ समझिए कोशिश ही जीवन है , .........
सुबोध- फरवरी १०, २०१५ 

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