अमीर बने ( Be Rich )

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Saturday, 7 February 2015

32 . ज़िंदगी – एक नज़रिया



काम (जिसे ज्यादातर लोग एक बोझ समझते है) की शक्ल में आने वाली उपलब्धियां जब गुजर जाती है और जो काम को इज्जत देता है उसे जब उपलब्धियां इज्जत देती है तब लोगों को समझ में आता है कि हमने गलती कहाँ की !

दरअसल उनकी अस
फलता की वजह उनकी मानसिकता होती है जो काम को बोझ समझते है .
मानसिकता एक अदृश्य स्थिति है दिमाग के स्तर पर जबकि उपलब्धि एक भौतिक स्तर है , दिमाग के स्तर से भौतिक स्तर पर आने के लिए जिस पुल की जरूरत होती है उसी पुल का नाम काम है , लिहाजा सिर्फ और सिर्फ कर्म ही महत्त्वपूर्ण है, ज्ञान की बातें कोई महत्व नहीं रखती अगर उन पर काम नहीं किया गया हो - गौर करें ज्ञान भी दिमाग का एक स्तर है .

विद्वान की विद्वता ज्ञान हासिल करने में है उनका लक्ष्य ज्ञान को हासिल करना है उस ज्ञान का उपयोग वे नहीं करते , सिर्फ और सिर्फ ज्ञान का संग्रह करते रहते है अंततः वे समाज में एक बड़े और प्रसिद्ध विद्वान के रूप में स्थापित हो जाते है लेकिन ज्ञान हासिल करने के इतर कर्म न करने की वजह से भौतिक स्तर पर उन्हें ढंग से दो वक्त की रोटी भी नहीं मिलती .

इसे एक उदाहरण से समझे - गुलज़ार साहब फिल्म इंडस्ट्री के नामी गीतकार है वे बड़े ज्ञानी भी है- एक विद्वान शख्सियत है , अगर उन्होंने सिर्फ ज्ञान हासिल किया होता उस ज्ञान की मार्केटिंग का कर्म न किया होता तो ? जाहिर सी बात है हज़ारों गुमनाम शख्सियतों की तरह वे भी गुमनाम ही रहते , उन्होंने इस बात को समझा, और फिल्म इंडस्ट्रीज के बेहतरीन स्ट्रगलर बने , आज वे जिस मुकाम पर है बहुत से प्रतिभाशाली लोगों के लिए वो स्वप्न है .
आपकी जानकारी आपका ज्ञान कोई महत्व नहीं रखता अगर उसके साथ कर्म नहीं जुड़ा है. जैसे ढेरों लोग कहते है कि आज अमुक शेयर ऊपर जायेगा वो अपने तरीके से इसकी गणना करते है मार्किट को समझते है यह उनका ज्ञान है तब वे ऐसी बात करते है लेकिन उनको तब तक कोई फायदा नहीं होता जब तक वे उस तथाकथित शेयर का लेन- देन नहीं करते .

लिहाजा इस बात को समझ लेवे ज्ञान से भी अधिक महत्त्वपूर्ण कर्म है .काम को बोझ मत समझिए बल्कि एक उपलब्धि का द्वार समझिए !
क्या पता कौन सा कर्म एक अवसर की तरह आपके सामने आ जाये ;अवसर हमेशा काम की शक्ल में ही आता है अगर आपने काम किया है तो अवसर आपका है नहीं तो अवसर आकर चला भी जायेगा और आपको पता भी नहीं चलेगा आप सिर्फ उसका इंतज़ार करते रहेंगे !!!!
सुबोध- फरबरी ६, २०१५

Photo: 31 . ज़िंदगी – एक नज़रिया

अँधेरा नकारा पक्ष नहीं है रोशनी का वो तो सिर्फ ये बताता है कि यहाँ रोशनी नहीं है इसी तरह समस्या ये बताती है कि वर्तमान में आपके पास ऐसा विचार नहीं है जो तथाकथित समस्या का समाधान दे सके . समस्या कभी ये नहीं कहती कि मेरा समाधान नहीं है बल्कि ये तो आप स्वयं है  जो किसी तटस्थ परिस्थिति को समस्या का नाम देते है .

हो सकता है किसी अन्य के लिए आपकी समस्या कोई समस्या ही नहीं हो ठीक वैसे ही जैसे आपका अँधेरा उल्लू के लिए अँधेरा नहीं होता - उस बेचारे की तो रोशनी से आँखे चुंधिया जाती है  यानि आपका अँधेरा किसी के लिए सुकून हो सकता है और किसी की रोशनी आपके लिए दर्दनाक अनुभव - ठीक उसी उल्लू की तरह .

ज़िन्दगी कभी भी किसी की भी सीधी और सपाट नहीं होती फिर वो चाहे कोई भी क्यों न हो , हर एक को अपने हिस्से की गलतियाँ ,असफलता , अपमान , हताशा और अस्वीकार्यता झेलनी ही पड़ती है - कोई भी इस दौर से बच नहीं सकता . वो आप ही है जो इसे आसान बनाते है या मुश्किल , वो आप ही है जो इन मुश्किलों से गुजरकर निखरते है या बिखरते है , वो आप ही है जो खड़े होकर हर उलटे-सीधे वार को झेलते है और विजयी बन कर निकलते है या पीठ दिखा कर तहस -नहस हो जाते है , वो आप ही है जो अब तक ज़िंदा है - सारी परेशानियों के बावजूद - यानि आपने अपने हिस्से की अब तक की सारी मुसीबतें झेल ली है और आप जानते है कि वो मुसीबतें छोटी नहीं थी फिर भी आप ज़िंदा है . यकीन मानिये आपके ज़िंदा होने में किसी और से ज्यादा आपकी जिजीविषा का हाथ है,आपके सुदृढ़ विचारों का हाथ है  जो अँधेरे में रोशनी की तलाश भर है ,फिर वो चाहे अँधेरी ऊंघती सुरंग के पार के दूसरे सिरे पर मौजूद रोशनी का एहसास ही क्यों न हो या विचारों में दादी- अम्मा से सुनी हुई वर्षों पुरानी कहानियों में हर विकट परिस्थिति का सफलतापूर्वक सामना करने का कौशल - अँधेरे पलों में जलती हुई टोर्च .

जिन्हे आप समस्याएं मानते है दरअसल वो आपकी दिमागी खुराफात के अलावा कुछ नहीं है. आइये एक अलग तरीके से सोचे , जिसे आप समस्या कहते है उसे चुनौती कहकर देखे - आपका सोचने का, समझने का और खेलने का नजरिया बदल जायेगा और फिर चुनौती का सामना करना , एक लक्ष्य को पूरा करना टास्क बन जाता है जबकि समस्या आपके हाथ-पैर फुला देती है इसी तरह अँधेरे को समस्या के तरीके से देखने पर  हताशा होती है जबकि अँधेरे को चुनौती के तौर पर देखने पर दीपक याद आता है , मोमबत्ती याद आती है, लालटेन याद आती है , बिजली याद आती है ,आग याद आती है और बंद अँधेरी गुफा में दो पत्थरों की तलाश की जाती है - चकमक पत्थर की .
 
ज़िन्दगी आसान नहीं है लेकिन मुश्किल भी नहीं है , परिस्थिति आसान नहीं है लेकिन समस्या भी नहीं है - वो आप है और आपके सोचने का तरीका जो चीज़ों को आसान बनाता है या मुश्किल , बदलाव अंदर से शुरू होता है -जड़ों से ,तभी तो बाहर अच्छे फल आते है  - आइये अच्छे फल पाने के लिए अंदर से बदले ,हमारे सोचने के तरीके को बदले !!!

सुबोध -फरबरी १, २०१५  
आभार सहित निम्न ब्लॉग से लिया गया
http://ameerbane.blogspot.in/
Posted by Unknown at 05:02
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