गरीब आदमी की गरीबी बढ़ानी हो तो उसे पैसे दीजिये और उसकी गरीबी दूर करनी हो तो उसे ज्ञान दीजिये ऐसा ज्ञान जो किताबी नहीं ,व्यवहारिक हो .
किताबी ज्ञान एक बोझ के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है ऐसा ज्ञान स्कूलों और पुस्तकालयों की शोभा बढ़ाने के काम ही आ सकता है . आश्चर्य तब होता है जब आर्थिक विषयों के पढ़ाने वाले प्रोफेसर जो करोड़ों की बातें करते है,करोड़ों कमाने के तरीके सिखाते है और खुद हज़ारों की सैलरी पर जिन्दा रहते है. किताबी ज्ञान और व्यवहारिक ज्ञान का फर्क समझने के लिए ये बेहतरीन उदाहरण है .
कुछ भिखारियों से पुछा गया -
अगर तुम्हे एक करोड़ रुपये दिए जाए तो तुम उन पैसों का क्या करोगे ?
पहले का जवाब था - बाबूजी , मैं आराम से पुरी ज़िन्दगी भर-पेट खाना खाऊंगा और आराम की नींद सोऊंगा !
दूसरे का जवाब था- बाबूजी, मैं जब भीख मांगता हूँ तो मेरे पैरों में कंकड़ बहुत चुभते है , मुझे बड़ी पीड़ा होती है, मैं पूरी सड़क पर मखमल के गलीचे बिछा दूंगा !
उनका जवाब उनकी सोच और उनका भविष्य बेहतरीन तरीके से दिखाता है .
अगर गरीब को पैसा दिया जाता है तो क्या होगा, सोचिये ? वो उस पैसे का क्या करेगा ?
वो सिर्फ अपनी सुविधाओं पर , अपनी खुशियों पर खर्च करेगा ! बड़ी टी.व्ही. खरीदेगा, फ्रीज खरीदेगा, ए.सी. खरीदेगा ,बड़ा मकान किराये पर लेगा ,सरकारी स्कूल से निकाल कर प्राइवेट स्कूल में अपने बच्चे को डालेगा , साइकिल छोड़ कर बाइक या कार खरीदेगा यानि सुख-सुविधाएँ जुटाएगा .
और कुछ सालों तक उसे जब लगातार पैसे दिए जायेंगे तो ये उसकी आदत में आ जायेगा , वो नए प्रयास ,ज्यादा कोशिश करना बंद कर देगा क्योंकि उसे जो मिल रहा है वो उसके लिए सुकून भरा है और परिणाम जिस दिन उसे पैसे देने बंद कर दिए जायेंगे उसमें इतनी भी संघर्ष क्षमता नहीं बचेगी कि वो ज़िन्दगी के थपेड़े झेल सके . यानि उसकी हालत पहले से ज्यादा ख़राब हो जाएगी वो पहले से ज्यादा गरीब हो जाएगा !!
ध्यान रखे सुरक्षा और सुविधा आपकी व्यक्तिगत संघर्ष क्षमता को कमजोर करती है और कई बार तो ख़त्म तक कर देती है .
आदिम मानव में ये क्षमता थी कि वे जंगली जानवरों का शिकार कर सके ,हमे हासिल लगातार की सुरक्षा और सुविधा ने हमारी वो क्षमता ख़त्म कर दी ,इसे सिर्फ एक उदाहरण भर समझ जाये ,मेरा लिखने का मतलब ये नहीं है कि जाकर पुरानी क्षमता हासिल करने का प्रयास किया जाए और वन्य प्राणी कानून का उल्लंघन किया जाये .
और अगर पैसे कि बजाय उन्हें ( गरीबों को ) व्यवहारिक ज्ञान दिया जाएगा तो क्या होगा ,ये आप स्वयं बेहतर समझ सकते है !
सुबोध
किताबी ज्ञान एक बोझ के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है ऐसा ज्ञान स्कूलों और पुस्तकालयों की शोभा बढ़ाने के काम ही आ सकता है . आश्चर्य तब होता है जब आर्थिक विषयों के पढ़ाने वाले प्रोफेसर जो करोड़ों की बातें करते है,करोड़ों कमाने के तरीके सिखाते है और खुद हज़ारों की सैलरी पर जिन्दा रहते है. किताबी ज्ञान और व्यवहारिक ज्ञान का फर्क समझने के लिए ये बेहतरीन उदाहरण है .
कुछ भिखारियों से पुछा गया -
अगर तुम्हे एक करोड़ रुपये दिए जाए तो तुम उन पैसों का क्या करोगे ?
पहले का जवाब था - बाबूजी , मैं आराम से पुरी ज़िन्दगी भर-पेट खाना खाऊंगा और आराम की नींद सोऊंगा !
दूसरे का जवाब था- बाबूजी, मैं जब भीख मांगता हूँ तो मेरे पैरों में कंकड़ बहुत चुभते है , मुझे बड़ी पीड़ा होती है, मैं पूरी सड़क पर मखमल के गलीचे बिछा दूंगा !
उनका जवाब उनकी सोच और उनका भविष्य बेहतरीन तरीके से दिखाता है .
अगर गरीब को पैसा दिया जाता है तो क्या होगा, सोचिये ? वो उस पैसे का क्या करेगा ?
वो सिर्फ अपनी सुविधाओं पर , अपनी खुशियों पर खर्च करेगा ! बड़ी टी.व्ही. खरीदेगा, फ्रीज खरीदेगा, ए.सी. खरीदेगा ,बड़ा मकान किराये पर लेगा ,सरकारी स्कूल से निकाल कर प्राइवेट स्कूल में अपने बच्चे को डालेगा , साइकिल छोड़ कर बाइक या कार खरीदेगा यानि सुख-सुविधाएँ जुटाएगा .
और कुछ सालों तक उसे जब लगातार पैसे दिए जायेंगे तो ये उसकी आदत में आ जायेगा , वो नए प्रयास ,ज्यादा कोशिश करना बंद कर देगा क्योंकि उसे जो मिल रहा है वो उसके लिए सुकून भरा है और परिणाम जिस दिन उसे पैसे देने बंद कर दिए जायेंगे उसमें इतनी भी संघर्ष क्षमता नहीं बचेगी कि वो ज़िन्दगी के थपेड़े झेल सके . यानि उसकी हालत पहले से ज्यादा ख़राब हो जाएगी वो पहले से ज्यादा गरीब हो जाएगा !!
ध्यान रखे सुरक्षा और सुविधा आपकी व्यक्तिगत संघर्ष क्षमता को कमजोर करती है और कई बार तो ख़त्म तक कर देती है .
आदिम मानव में ये क्षमता थी कि वे जंगली जानवरों का शिकार कर सके ,हमे हासिल लगातार की सुरक्षा और सुविधा ने हमारी वो क्षमता ख़त्म कर दी ,इसे सिर्फ एक उदाहरण भर समझ जाये ,मेरा लिखने का मतलब ये नहीं है कि जाकर पुरानी क्षमता हासिल करने का प्रयास किया जाए और वन्य प्राणी कानून का उल्लंघन किया जाये .
और अगर पैसे कि बजाय उन्हें ( गरीबों को ) व्यवहारिक ज्ञान दिया जाएगा तो क्या होगा ,ये आप स्वयं बेहतर समझ सकते है !
सुबोध
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