subodh

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Thursday 6 November 2014

31 . पैसा बोलता है ...

अक्सर कहा जाता है अमीर अमीरी के राज नहीं बताते !ये एक मिथ जैसा बन गया है ! 
चुटकुले के तौर पर कहा जाता है कि मारवाड़ी परिवारों में अपनी बेटी को धंधे  के गुर नहीं बताये जाते क्योंकि कल वो पराये घर जाएगी और उन्हें भी वो राज बता देगी ! ये चुटकुला अमूनन उन सेमिनारों में सुनाया जाता है जो " अमीर बनो " टाइप के होते है !
आइये थोड़ा इसका विश्लेषण करें -
क्या कोई अमीर अपनी बेटी किसी गरीब घर में देगा ?
नहीं, अमीर हमेशा अपनी बेटी अपनी बराबरी या अपने से ऊँचे अमीर घर में देगा .
तो जब उसकी बेटी की ससुराल पहले से  ही पैसेवाली है तो ज़ाहिर सी बात है उसे अमीरी के राज़ भी पता होंगे ! तो ये बात निहायत ही गलत है कि अमीर अपनी बेटी को धंधे  के राज़ नहीं बताते . कोई बाप अपनी बेटी के सामने शर्मिंदा नहीं होना चाहता जिस बात को वो शादी से पहले राज़ बना कर रखना चाहता है जब शादी के बाद वो राज़ नहीं रहेगा तो क्या कभी बेटी ये बात अपने बाप से नहीं पूछेगी कि आपने मुझे ये क्यों नहीं सिखाया .

दूसरी बात - अमीरी पाने में सोच और निर्णय सिर्फ एक व्यक्ति का हो सकता है लेकिन ये एक समूह के  प्रयासों का परिणाम  होती  है ,एक टीम वर्क की उपलब्धि होती है और ज़ाहिर सी बात है जहाँ टीम इन्वॉल्व हो जाती है वहां राज नामक कोई चीज़ नहीं रहती .


तो फिर ये गलत बातें उठाई कहाँ से गई है ?
" अमीर बनो " टाइप के सेमीनार करने वाले इस तरह की बाते कहकर उस बात को राज़ बना कर बेचना चाहते है जो दरअसल में राज़ है ही नहीं .

उनमे ये अहंकार हो कि हमने इस बारे में स्टडी की है 10  साल इसे जानने में लगाया है, 700 बुक्स पढ़ी है ,ढेरों विद्वानों को सुना है और वो इसे बेचने के लिए इस तरह की बाते गढ़ते   है .एक सेल्स ट्रिक की तरह .


सच हमेशा व्यक्तिगत होता है हो सकता हो ये उनका निजी अनुभव हो और जिसे उन्होंने सच का नाम दे दिया हो !

मेरी निगाह में ये उनका खुद को बेचने का एक तरीका भर है .


लेकिन  समाज भी तो यही कह रहा है ?

अक्सर गैर-जिम्मेदार ,कामचोर लोगों को खुद के बचाव के लिए किसी बहाने की तलाश होती है .पहले की पीढ़ियों ने अपनी नाकामयाबी को छुपाने के लिए एक बहाना गढ़ा और खुद को दोषी मानना बंद कर दिया कि हम तो मासूम है ,हमे क्या पता अमीर कैसे बना जाता है, ये तो बहुत बड़ा राज़ है और वे इसे जाते-जाते अगली पीढ़ी को सौंप गए , अगली पीढ़ी ने इसे सच मान लिया और उस सच को - उस थोपे गए झूठे सच को सच मान लिया कि अमीरी बहुत बड़ा राज़ है ! 


हर गरीब के पास एक अमीरी भरा अतीत होता है पांच पीढ़ी पुराना -सात पीढ़ी पुराना ,ज़ाहिर  सी बात है तब उस पीढ़ी को अमीरी के राज़ पता थे लेकिन बाद वाली  पीढ़ी उस तथाकथित राज़ को, उन नसीहतों को समझ नहीं पाई  , निभा नहीं पाई इसलिए  उनका सुनहरा अतीत आज दहशतजदा वर्त्तमान हो गया है - लिहाजा बात राज़ की नहीं रह जाती किसी बात को बराबर समझने और सीखने की रह जाती है. 


दरअसल अमीर मानसिकता उदारता भरी मानसिकता होती है वो पैसे की बहुलता देखती है वो इस तरह की छोटी सोच रख ही नहीं सकती .ये कुल मिलाकर उन के चरित्र पर किया गया दुराग्रह भरा आक्षेप  भर है ! 

मिर्ज़ा ग़ालिब  का एक शेर है-

हम  को  मालूम  है  जन्नत  की  हक़ीक़त  लेकिन 
दिल  के  खुश  रखने  को  'ग़ालिब  'ये  ख्याल  अच्छा  है .

कृपया उन लोगों की या मेरी बातों को मत सुनिए और न ही उन्हें सच मानिये बल्कि खुद की सुनिए , क्योंकि कोई आपको अमीर बना सकता है तो वो सिर्फ आप खुद है ! असंभव कुछ नहीं होता अगर ठान लिया जाए ,रुकने वाले के लिए हज़ार "  बहाने " होते है और चलने वाले के लिए सिर्फ एक " वजह " , सिर्फ उस एक वजह की तलाश कीजिये जो आपकी अमीरी की यात्रा की बैक -बोन बन सके !
सुबोध 

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