subodh

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Monday 13 October 2014

28. पैसा बोलता है ...

राय देना तकरीबन हर इंसान का प्रिय शगल होता है ,आपको और कुछ मिले न मिले लेकिन राय जितनी मांगेंगे उस से ज्यादा मिलेगी .राय मांगने पर एक अनाड़ी आदमी डॉक्टर ,मेकैनिक ,वकील,नेता, पुलिस अधिकारी वगैरह सब कुछ बन जाता है और ऐसी-ऐसी राय देता है कि आपकी समस्या का समाधान तुरंत हो जाता है ,तो अगर आप मेरी बात समझ रहे है तो कृपया राय लेने से पहले देख लेवे आप किस से किस विषय पर  किस तरह की राय ले रहे है .

 अमूनन जब कोई बिज़नेस शुरू करना चाहता  है तो जिनसे राय ली जाती है वे जॉब वाली प्रोफाइल से आये हुए लोग होते है ,वे इस बात को समझ ही नहीं पाते कि एक पढ़ा लिखा काबिल इंसान जो अच्छी नौकरी पा सकता है वो नौकरी न करकर  रोड पर धक्का क्यों खाना चाहता है ? ये बिलकुल ऐसी ही सोच है कि जिस काम में रिस्क हो उस काम को नहीं करना चाहिए ,जब ऐसे लोगों से राय मांगी जाती है तो ज़ाहिर सी बात है वे मना ही करेंगे .

अब ये समझे कि वे मना क्यों कर रहे है ?

पहला कारण ये हो सकता है कि वे बहुत ज्यादा सेफ गेम खेलते है चूँकि वे आपके शुभचिंतक है और नहीं चाहते कि असफल होने पर आप किसी पीड़ा से गुजरे .

दूसरा कारण ये हो सकता है कि ज़िन्दगी में कभी उन्होंने " आउट ऑफ़ बॉक्स " जाकर प्रयास किये थे और वे असफल हो गए थे .

तीसरा कारण ये हो सकता है कि उनकी कंडीशनिंग के मुताबिक बिज़नेस करना एक हौवा  है,इसको करना बुराई की और बढ़ना है ,इसमें लोग असफल ज्यादा होते है और कोई सफल भी हो गया तो ज़िन्दगी भर परेशान रहता है .

कृपया जब भी आपको राय लेनी हो तो परिवार या जान-पहिचान के उस व्यक्ति से नहीं लेवे जो उस क्वान्ड्रेंट का नहीं  है  ,अगर आपको बिज़नेस करना है तो राय किसी बिजनेसमैन  से लेवे उस बिजनेसमैन  से जो सफल हो चूका है क्योंकि वही आपको सफलता पाने के सही तरीके बता सकता है .आपको बिज़नेस शुरू करना है और आप किसी अनप्रोफेशनल पहलवान से जाकर राय करते है तो क्या जवाब होगा और वो जवाब कितना जायज़ होगा सोचे-समझे . इसी तरह से किसी असफल व्यवसायी से राय लेना खुद को नकारात्मक करना है .

जैसा की मैंने अपनी पुरानी पोस्ट में लिखा था आपके सबसे बेहतरीन दोस्त" क्या",  "क्यों", "कब"," कैसे", "कहाँ" है .जब भी आपको कोई उलझन हो इन दोस्तों से उस विषय में बात करें ये आपको रास्ता दिखाएंगे .
जैसे आपको व्यवसाय करने से  आपका शुभचिंतक मना करता है तो उससे पूछे मुझे व्यवसाय "क्यों" नहीं करना चाहिए ?

वो जो भी कारण बताता है उसके बाद वापिस अपने किसी दोस्त को आएगे कर दीजिये ,और तब तक आगे करते रहिये जब तक आप निर्णय की स्थिति में नहीं पहुँच पाते !

आपको देखकर आश्चर्य होगा कि उनकी राय आपके  कठोर सवालों का सामना नहीं कर पा रही  है और वो खिसिया रहे है !

आप सावधान हो जाइये ये तो एक क्वान्ड्रेंट वाले का दुसरे क्वान्ड्रेंट वाले से राय करना है और उसका राय न मिलने का किस्सा है यहाँ तो एक क्वान्ड्रेंट वाले का उसी क्वान्ड्रेंट वाले से राय न मिल पाना भी आम है  जैसे एक रनिंग सेटल्ड बिजनेसमैन से या कॉर्पोरेट हाउस के बड़े शेयर होल्डर से  अगर किसी स्टार्टअप के बारे में पुछा जाये तो उसे भी" हाँ" करना समझ में नहीं आएगा !! 

क्यों ?

क्योंकि आखिरकार वे सड़क के दुसरे छोर पर खड़े है !!!!

ऐसी स्थिति में अपने विवेक का उपयोग करें और अपने बेहतरीन दोस्तों ( 5 Q ) पर भरोसा करें ,वे आपको तब तक गलत नहीं होने देंगे जब तक आप खुद गलत न होना चाहे.

सुबोध 

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