subodh

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Monday 8 December 2014

28 . ज़िंदगी – एक नज़रिया


ज़िन्दगी जब मुश्किल हो जाये ,इतनी मुश्किल कि तुम हौंसला हारने लगो तो गौर करना और देखना डूबते हुए सूरज को कल वो वापिस लौटेगा कुछ सुस्ताने के बाद ,नए सिरे से इस संसार को रोशन करने ; तो गौर करना और महसूस करना जिस्म से छूटती हुई सांस को , वो छोड़ी इसलिए जाती है कि कार्बन डाई ऑक्साइड निकाल सके और नई ऊर्जा के लिए ऑक्सीजन ले सके . ज़माने में कुछ ऐसे लोग थे जिन पर तुम्हे अटूट भरोसा था और वे तुम्हारे इस मुश्किल दौर में तुम्हारे साथ नहीं थे ( अच्छा हुआ कार्बन डाई ऑक्साइड निकल गई - वे तुम्हारी ज़िन्दगी के बैरियर थे ) लेकिन कुछ ऐसे लोग भी थे जिनसे तुम्हे कोई उम्मीद नहीं थी फिर भी वे जाने- अनजाने तुम्हारे साथ खड़े थे . और शुक्रिया अदा करना नीली छतरी वाले का कि उसने तुम्हे मौका दिया अपने पंख पसारने का, तुम्हारे अनुभव के संसार को समृद्ध करने का , असली और नकली की पहचान करने का ,बंद अँधेरे विश्वास की गलियों में भटकते मन में उजाला भरने का ,और शुक्रिया अदा करना उन साथियों के लिए जो मुश्किलों के दौर में तुम्हारे साथ खड़े थे कुछ पुराने और कुछ नए साथी .
तुम अपनी ज़िन्दगी की मुश्किलें मत देखना वो उपलब्धियां देखना जिन्होंने तुम्हे कभी गौरव दिया था किसी ने आशीष में तुम्हारे सर पर हाथ रखा था किसी ने स्नेह से तुम्हारा माथा चूमा था और अपनी उस सोच को विस्तार देना जो तुममे ऊर्जा भरती थी ,अपने उन ख्वाबों को याद करना जो तुम्हारे बचपन जितने ही मासूम थे ,निश्छल थे यकीन मानो तब तुम्हे अपनी मुश्किलें छोटी लगेगी और विश्वास होने लगेगा कि मैं अब भी जीत सकता हूँ -बड़ा और आसान लगेगा .
सुबोध
९ दिसंबर , २०१४

1 comment:

  1. बहुत सुन्दर प्रेरक प्रस्तुति ...सच हर शाम की सुबह जरूर होती है ...

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